[ ७१ 1 समय विशेष रक्षा न की जाती तो लोग क्रोधावेश में उसको मार डालते । कहते है कि जिस समय उनका शरीर जहाज़ पर लाए हैं उम समत अन- बर्त रुधिर बहता था जब श्रीमान् का शरीर ग्लास गो पर लाए उस समय लेडी स्यो के चित्त की दशा सोचनी चाहिये ! हा! कहा तो वह यह प्रतीक्षा करती थीं कि प्यारा पति फिर के आता है अब उस के साथ भोजन करेंगे और यात्रा का वृत्तान्त पळगे कहां उस पति का मृतका शरीर समय पाया हाय हाय कैसा दारुण समय हुआ है !! परन्तु वाहर इनका धैर्य कि उमी समय शोक को चित में छिपाकर सब आज्ञा उसी भांति किया जैसी श्रीमान् करते थे। जब यह समाचार कलकत्ते में १२ वीं तारीख को पहुंचा उसो समय प्राज्ञा हुई दुर्गध्वज अधोसुख हो और ३८ मिनिट पर सायंकाल तीप छुटैं। कानन के अनुसार लार्ड नेपियर गर्वनर जनरल हुए और उमी टापू से एका जहाज़ उन के लाने को भेजा गया और श्रीमान के भाई भी फेर बुला लिए गए परन्तु लार्ड नेपियर के आने तक आनरेबन्त स्ट्रेची स्थाथपन गर्व- नर जनरल हुए। कहते हैं कि लार्ड नेपियर १६ तारीख को चले निस दिन ये वहां से चले थे उस दिन सब लोग शोक वस्त्र पहरे हुए इन को बिदा क- रने को एकत्र हुए थे। श्रीमान् का शरीर कलकत्ते में पाया और वहां से आयर्लेण्ड गया। लेडी म्यौ और श्रीमान् के दोनों भाई और पुत्र तो बम्बई जायंगे वहां से जहाज पर सवार होंगे पर श्रीमान् का शरीर सीधा कलकत्ते से टलास गो पर जायगा। नीचे लिखा हुआ आशय का पत्र कलकत्ते के छापे वालों को सर्कार की ओर से मिला है। आठवों तारीख बृहस्पति के दिन श्रीमान गवर्नर नेनरता बहादुर पोर्टबोर नामें स्थान पर पहुंचे और रास नाम स्थान को भली भांति निरीक्षण कर वाइपर नामे टापू में पहुंचे जहां महा दुष्ट गण रहते हैं सीवर्ट साहेब सुपरिन्टेन्डेन्ट ने श्रीमान के शरीर रक्षा के हेतु बहुत अच्छा प्रबन्ध किया था कि कोई मनुष्य निकट न आने पावे पुलीस के व्यतिरिक्त एक विभाग पदचारियों का साथ था परंतु यह श्रीमान को लशकर जान पड़ता था और उन्हों ने कई बार निषेध किया। यहां से लोग चाधम में गए जहां भारे चन्तते हैं और लवाड़ी काटी जाती है। परंतु यह सब कर्म पांच बजे के भीतरही हो गया तो श्रीमान ने कहा कि होपटाउन प्रदेश में चल कर इ- रियट पर्वत पर आरोहण करके प्रदोष काल को शोभा देखना चहिये । यह
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