१६८ ] पडे आश्चर्य और शोक से पढ़ेंगे और नियय भूमि ने एक ऐसा अपून स्वामी खो दिया है जैसा फिर पाना कठिन है तारीख १२ को यह भयानक समा- चार कलकर में पाया और उमी समय सारा नगर शोकाकान्त हो गया। ___ गुरुवार ८ वीं तारीख को श्रीमान् लार्ड स्यौ साहिब पोर्ट ब्लेयर उप- हीप से ग्लासगो नामक जहाज़ पर आए और ढाका और नेमिसिस नाम के दो नहाज़ और भी संग पाए और साढ़े नौ बजे उन टापुओं में पहुंचे और ग्यारह बारह के भीतर श्रीमान् ने वर्मा के चीफ कमिश्नर इत्यादि लोगों के साथ कैदिये की बारक गोरावारिक और दुसरे प्रसिद्ध स्थानों को देखा उस समय श्रीमान् को शरीर रक्षा के हेतु बहुत से सिपाही, कांट्रेवल और गार्ड बडी सावधानी से नियत किए गए और थोड़ी देर जेनरल स्टुअर्ट सान्वि को कोठी पर ठहर कर सब लोग जनाज़ों को फिर गए । अढाई बजे सब लोग फिर उतरे और इन टापुओं के लोगों का स्वभाव जानकर मव लोग चडी सावधानी से चले और वडे यत्न से सब लोग श्रीमान् की रक्षा करते रहे उस समय श्रीमती लेडी म्यौ और सब स्त्रियां ग्लास गो जहाज़ परही थीं। ये लोग अवर दोन और ऐडो होते हुए वाइयर टापू में पहुंचे। यह स्थान गस के टाप से ढाई कोस है और यहां १३०. कैदी रहते है जो अपने बुरे कर्यो से काले पानी भेजे गए हैं। भय का स्थान समझ कर कांस्टेबल और सर- कारी पलटन रक्षा के हेतु संग हुई और जेलखाना इत्यादि स्थानों को देख कर चधाम टापू में गए और वहां कोयले की खान देख कर फिर जहाज़ पर फिर आने का विचार करने लगे। अब ५ बजने का समय आया और मव लोग जगज़ पर जाने को घचडा रहे थे कि श्रीमान् ने कहा कि हम लोग हिरात की पहाड़ी पर चढ़े और वहां से सूर्यास्त की शोभा देखें। यह प- हाडी इसी टापू में है और इस्के ऊपर कोई वस्ती नहीं है परन्तु नीचे होप टोन नामक एक छोटी वस्ती है जिसमें कुछ कैदी काम करनेवाले रहते हैं। यद्यपि सवेरे ऐसा लोगों ने सोचा था कि समय मिलेगा तो इस पहाडी पर जायंगे पर ऐसा निश्चय नहीं था और न वहां कुछ तयारी थी। ऐलिस साहिव इस पहाडी पर नहीं चढ़े और यहां पलटन के न होने से चधाम से पलटन बुलाई गई कि वह श्रीमान् की रक्षा करे और वहां से आठ कांस्टेवल रक्षा के हेतु संग हुए। श्रीमान् एक छोटे टटू पर चलते थे और सब लोग पैदल घे ऊपर बहुत से ताड़ और सुपारी के पेड़ों से स्थान घना हो रहा था-और
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