E५८ ] जन्म दिया और अफलातून ऐसा शिष्य सुम दिया; एक दिन अटिका का राजा नमा सिविडोस बड़े घमंड में सर' यह दृन हांक रहा था कि मेरे पास बड़ा धन है और मैं बड़े भारी राज्य का स्वामी हूं जन सुकरात ने उसकी यह घमंड की बात सुनी उस्से कहा ए अन्ल सीबिडीस तनिक इधर पा और भू- गोल को नकशे की ओर ध्यान कर और बता तेरा राज्य अटिका कहां पर है 'जब उसने नक्शे को देखा घसंड के नशे में जो चर चूर था सब उतर गया और उसकी आंख खुल गई सिर नीचा कर कहा कि मेरा सुल्क यूनान जी संपूर्ण यूरोप का.एक छोटा सा देश है उस का भी एक अत्यन्त छोटा प्रदेश है उसको यह बात सुन : सुवारात ने कहा तो ए प्यारे फिर क्यों इतनी दन की हांक रहा है घमंड बहुत बुरा होता है सर्व शक्तिमान जगदीश्वर के करतब से इस सुमंडल पर एक से एक चढ़ बढ़ कर पड़े है उन के सामने तू किस गिनती में है थोड़े दिन बादं यूनान के बहुत से अत्याचारी निष्ट र मनुष्यों ने इU से उनहत्तरवें वर्ष में सुकरात पर यह दोष लगाया कि यह बुट्टा असीना नगर को नव यूवा लोगों को बुरे चाल चलन की ओर रुज करता है उन के बाप दादाओं के पुराने वर्ताव और मत से हटा कर उन्हें नास्तिक बनाया चाहता है और उनके देवी देवताओं की निन्दा करता है इन दोषी के कारण वह अदालत के सपुर्द हुआ अदालत ने इसे विष पीकर. मर जाने की सजा तजवीज को उस निर्दोषि पर प्राणान्त दण्ड का सजा का हकम सन जब सब उस के बन्धु भाई और मित्र बिलाप और पछता रहे थे मुकरात अतान्त धैर्य के साथ विष का प्याला उठा कर चूंट गया और अपने मरने तक सबों को सदुपदेश देता रहा जब विष इसके सर्वाङ्ग में व्याप्त हो गया यहां तक कि बोल भी न सकता था तब इस ने आंख बन्द कर ली और सिधार गया । . महाराजाधिराज नेपोलियन का जीवनचरित्र । ... .2 वीं जनवरी सन १८७३ ई० को बारह बज के २५ मिनट पर महाराजा. धिराज ३ नेपोलियन ने इस प्रसार संसार को त्याग किया । जो मनुष्य मरने के अढ़ाई वर्ष पूर्व एक प्रधान देश का राजा और संसार के सब मनुष्यों में सुख्य बीर और बुद्धिमान था और पांच लाख योद्दा जिस के साथ चलते थे और जिसने एक सामान्य मेला किया था उस में सारे संसार के राजा और महा- राज दौड़े आए थे वही नैपोलियन इङ्गलैण्ड के एक गांव में एक छोटे घर
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