[ ११ ] हुमा, लिखने मे बाहर है। मच है परिश्रम मे सब कुछ हो सकता है। कान्निदाम के समय घटखर्पर, वरचिआदि और भी कवि थे। कालि- दाम काव्य नाटकादि अनेक ग्रर संस्कृत भाषा में लिखे है। इन को काव्य रचना बहुत सादी, मधुर और विषयानुसारिणी है । अंग ज़ लोग शानि- दाम को अपने शेक्सपियर को सदृश उपमा देते हैं। इस ने समय में भवति नामका एक कवि था। कहते है कि उस की विद्या कालिदाम से अधिक थी। परन्तु कवित्वशक्ति कालिदास की सी न थी । भवभूति कालिदास के अ.- तृत्व को सानता था। कालिदाम मारस्वत ब्राह्मण था। उम को आखेट आदि देशों को बड़ी चाह थी. और उसने अपने अन्य में इस का वर्णन किया है, कि मनुष्य के शरीर पर ऐसे खेतों से क्या २ उपकारी परिणाम होते हैं। विक्रमादित्य ने उस को कश्मीर का राजा बनाया और यह राज्य उसने चार बरसट महीने किया। ___ कालिदास उज्जैन में रहता, परंतु उसकी जन्मभूमि कश्मीर थी। देशांतर होने पर स्त्रो के वियोग से जोर दुख उसने पाये,उन का वखान मेघदत का. व्य में लिखा है। कालिदास वडा चतुर पुरुष था, उस की चतुराई की बहुत सी कहानियां हैं, और वे सब मनोरंजन हैं, यथा उन में से कई एकये है। (1) भोजराजा को कवित्व पर वडी प्रीति थी। जो को नया कवि उस के पास आता और कविता चातुर्य बताता, तो उसको वह अच्छा पारितोषिक देता, और चाहता, तो अपनो सभा में भी रखता। इस पकार से यह कवि- मंडन्त वहुत बढ़ गया। उस में कई कवि तो ऐसे थे कि, वे एक बार कोई नया शोक सुन लेते, तो उसे ण्ठ कर सकते थे। जब कोई मनुष्य राजा के पास आ कर नया श्लोक सुनाता था, तो कहने लगते थे, कि यह तो हमारा पहिले हो से जाना हुआ है और तुरन्त पढ़ कर सुना देते थे। एक दिन कालिदास के पास एक कवि ने पा कर कहा, कि महाराज, आप यदि राजा के पास ले चलें और कुछ धन दिला देवें, तो मुझ पर पाप का वडा उपकार होगा जो मैं कोई नया श्लोक बना कर राजमभा में सुनाऊ तो उस का नूतनत्व मान्च होना कठिन है इस लिये कोई युक्ति बताइए। कालिदास ने कहा कि तुम भनेक में ऐमा कहो, कि राजा से मुझ को
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