के पिता का परलोक हुआ तो उन के पित्रव्य मुंज राजपद पर अभिषिक्त हुए और भोज ने उन के संत्री बन कर बहुत विद्या उपार्जन किया और इसी प्रकार भोज दिन प्रति दिन विख्यात होने लगे तो मंज के मन में यह शंका हुई कि अब लोग हम को पदचुत करेंगे और यह विचार करने लगे कि किमी प्रकार से भोज का प्राणनाश करू इसी हेतु मंज ने वत्सराज राजा को बुला कर अपना दुष्ट विचार प्रकाशित किया और कहा कि भोज को शीघ्र ही भारण्य में लेजा कर इस का प्राणनाश करो परन्तु इस राजा ने भोज को तो छिपा रखा और पशु के रक्त से भरे हुए खड्ग को राजा मुंज के पास भेज दिया इस को देखकर उन्हों ने सानन्द चित्त से पूछा कि भोज ने मानव लीला समाप्त किया ? यह सुन वत्स राजा ने एक पत्र पर लिख दिया कि-“सान्धाता जो भीज क्या एक समय नृप कुल का शिरोमणि था अब परलोक में है। रावणारि रामचन्द्र जिन्हों ने समुद्र में सेतु बांधा था वह कहां है ? और बहुत से महोदय गण और राजा युधिष्टिर ने खर्गारोहण किया है परन्तु पृथ्वी उन के साथ नहीं गई पर आप के साथ पृथ्वी अवश्य रसातल को जायगी " इस पत्र के पढ़ते ही सुंजर का शरीर रोमांचित हुआ और भोज के लिये अतान्त व्याकुल हुए परन्तु जब उन्हों ने सुना कि सोज जीता है तो उन को वत्सराज से शीघ्र बुलवा कर धारानगर के राज सिंहासन पर बैठाया और आप ईखराराधन के निमित्त श्रारण्य में प्रवेश किया भोज ने पिटसिंहासन पा के बहुत से पंडितों को अपनी सभा में बुलाया हम को भोजपबंध में कालिदास के सहित नीचे लिखे हुए पंडितों के नाम मले हैं। :- ___ कर्पू', कलिंग, कामदेव, कोकिल, श्रीदचन्द्र, गोपाल देव,जयदेव. तारेचन्द्र, दामोदर, सोमनाथ, धनपाल, वाण, भवभूति, भास्कर, मयूर, मल्लिनाथ महेश्वर, माघ, सुचकुन्द, रामचन्द्र रामेश्वर, भत्ता, हरिवंश विद्याविनोद, विश्व वसु, विष्णुकवि, शंकर, सासदेव, शुक, सीता, सोम, सुबंधु प्रत्यादि। सीता अवश्य किसी स्त्री का नाम है और इसी से बोधहोता है कि स्त्री शिक्षा उस समय प्रचलित थी तो हम नहीं समझाते कि हमलोगों के खदेशीय अब इस को क्यों बुरा समझ के अपने देश की उन्नति नहीं होने देते देखिये अमेरिका में स्त्री शिक्षा कैसी प्रचलित है और जो लोग एक समय अत्यन्त मूर्व अवस्था में थे अब यूरण के लोगों को भी दवा तिया चाहते हैं
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