चरित्र में हस को थोड़ा सन्देह होता है क्योंकि जब उस के बड़े भाई के जोतने का कवि वर्णन करेगा तो उस दोष के छिपाने के वास्त उस के आई को बुरा लिखे इस में क्या सन्देह है। जो कुछ हो विक्रम एक बड़ा राजा और गुणग्राहो मनुष्य हो गया है और यह पंडितों के अादर हो का फाल है कि उस का संपूर्ण वर्णन आज हम पाठकों को सुनाते हैं । कालीदास का जीवन चरित्र । यह सब वार्ता केवन्त बंगदेशियों की है पश्चिस प्रदेशीय पंडित लोग भा- रतवर्षीय कवियों में कालिदास को सर्बोच्चासन देते हैं वल्बई के प्रसिद्ध पंडित माऊदाजी ने केवल कालिदास की कविता ही नहीं पढ़ी बचन बहुत परि- श्रम करके प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ और तास्त्र पत्रों से उन का जीवन हत्तान्त संग्रह को, हम ने भी उन के अन्य से कई एक बातें ग्रहण किया है। __कालिदास विख्यात महाराजा विक्रम के नव रत्नों में थे इस के * व्यतिरि- ता उन के जीवन की और कोई प्रमाणिक बात लोग नहीं जानते बंगदेश को कई अभिमानी पंडितों ने कालिदास को लंपट ठहरा कर उन के नाम से हास्य रस की कविताओं का प्रचार किया पाठशाला के युवा ब्राह्मण थोड़ा सा सुग्धबोध व्याकरण पढ़ के इन श्लोकों का अभ्यास करके धनिक लोगों का मनोरंजन करते हैं और इसी प्रकार धनी लोगों से प्रति वर्ष कुछ पाते हैं यथार्थ में तो यह मय कविता कालिदास को नहीं है परन्तु नवीन कवियों की बनाई हुई हैं “ प्रफुल्लित जान नेत्र" नासक पद्यमय पुस्तक बंगभाषा में मुद्रित हुई है इस ग्रन्य में लोगों ने मिथ्या कल्पना कर के कालिदास में जपर लिखा हुआ दोष ठहराया है इसी प्रकार से इन दिनों अंगरेजी सूमि- का सहित एक रघुवंश की मटोक पोथी सुद्रित हुई है इस में भी लोगों ने
- राजा लक्ष्मण सिंह रघुबंश के उलया में यों लिखते हैं । “कालि
दास नाम वो काई कवि हुए हैं उन में दो सुख्य गिने जाते है एक वह जो राजा बीर विक्रमाजीत की सभा के नौरतों में था दूसरा जो राजा भोज के समय में हुआ इन में भी पण्डित लोग पहले को दूसरे से श्रेष्ठ मानते हैं और उसी के रचे हुए रघुबंश कुमारसम्भव मेघदूत ऋतुसंहार इत्यादि काव्य और शाकुन्तल नाटक विक्रमोर्वसी त्रोटक और और अच्छे अच्छ अन्य समझे गए हैं।