पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/२१९

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[४] हुए विक्रम के शरीर में छोटेपन हो से शूरता इत्यादिक उत्तम गुण झलकते थे जब यह जवान हुआ तो पहिले इस ने बंगाले पर चढ़ाव किया और कामरूप जीता समुद्रपार होकर सिंहल पर इस ने चढ़ाव किया और द्राविड़ और चोलों की राजधानी कांची तीन बेर लूटा जब वह सिंहत्त जीत कर लौटा तो गोदावरी के पास सुना कि तुंगभद्रा के किनारे पिता ने देह त्याग किया यह उसी समय घर गया और इस का बड़ा भाई सोम- देव राजा हुआ विल्हण लिखता है कि सोमदेवं बड़ा मदोनमत्त होगया था और इन्दमित्र नासक एक बुरा राजा उस की सहायता को मिल गया इम से विक्रम ने इस का संग छोडा इसी को चालुक्य कहते हैं । दिया और कोकण का राजा जयकेश इम से मिल कर दक्षिण में बहुत से देश जीते और अपना अपना अलग राज स्थापन किया उस समय इस का छोटा भाई जयसिंह भी इस के साथ था द्रविड़ देश के राजा ने अपनी कन्या देकर इस मंत्रो की और जब वह राजा मर गया तो विक्रम ने उस के बेटे अर्थात् अपने साले की बड़े धूमधाम से गद्दी पर बैठाया । और फिर गांगकुंडपुर होता हुअा तुंगभद्रा के किनारे पाकर रहा जब चेंगों के राजा राजिक ने इस के साले को जीत लिया था तब यह बड़ी धूमधाम से उस से लड़ने को न सिंहल के इतिहास में बङ्गाले का पहला हाल इतना लिखा है कि सिंहबाहु नाम एक बङ्गाले का राजा था उस का बड़ा बेटा बिजयसिंह प्रजाओं को पोड़ा देने के कारण जब देश से निकाला गया तो मात सौ आदमियों के माध जहाज में चढकर निकला अनेक प्रकार के कष्ट सहने के उपरान्त सिंहन्न में जा पहुंचा और वहां के लोगों को जीत कर उन का राजा बन गया। विजय सिंह के मरने के बाद उस का भतीजा पांडुवास जो बङ्गाले में रहता था सिंहल द्वीप के सिंहासन पर बैठा, यह सिंहल- हीप के राजाओं में पहला राजा था। सिंहबंश के राजा होने के कारण इस टापू का नाम सिंहल द्वीप हुआ जिस साल वुद्धदेव का परलोक हुपा था उसी साल बिजयसिंह सिंहल में पहुंचा । यह साफ जान पड़ता है कि ५०० बरस इसवी सन के पहले बंगाले में आर्यवंश के लोगों का अधिकार बहुत बढ़ा था क्योंकि उन लोगों ने भी. समुद्र को राह से जहाज पर चढ़- कर दूर २ को देशों को जीता था ।