[ १८ ] राजा जन्मेजय का दानपत्र । यह दानपत्र युधिष्ठिर के संवत् १११ का है जो गोज अगराइर तालुका प्रनन्तपुर जिला महानाद नगर इलाका मैसूर में मिला है। इसमें सर्षयाग और सृर्वपळ का वर्णन है। कर्नन्न एनिम् नाहिम रोचते हैं कि यह उस ज- नेजर का तीं है विजय नगर के राजाओं ने से किसी का है। वह कहते है कि जैसा मर्यग्रहण :समें लिखा है वैसा सं० १५२१ ई० में हुआ था। कोल- बुवा साहिब कहते हैं कि यह प्राचीन काल में ब्राह्मणों ने बात करके बनाया ई गा । परन्तु उन दोनों साहिवों की बात का कोई दृढ़ प्रमाण नहीं। इस को लिपि प्राचीन वान्तवन्द अथवा नन्दिनागर अक्षरों में है। इसके पीछे का भाग बहुतसा टूट गया है और यहाँ हस भी इस का वह भाग नहीं लिखते जिनमें उन दक्षिणी ग्रामों के और उनकी चारो सीमाओं के वर्णन से बड़े कठिन कठिन कग टकी शब्द लिखे हैं। " जे यत्याविष्कृतं विष्णोराहं नोभिता पवम् । दक्षिणोन्नतदंष्ट्राग्रे विश्वात्तवनंवपुः ॥ स्वस्ति समस्तभुवनाश्य श्री पृथ्वी वल्लभ महाराजाधिराज परमेश्वर परमभट्टारका हस्तिनापुरवराधीवर भारोहअगदत्त. रिपुराय कान्तादत्तवै स्वैिधव्यपाण्डव कुल कमल मार्तण्डमदन प्रचण्ड या लिङ्ग कोदण्ड मार्तण्ड एकाङ्गवीररणरङ्गधौर हा प्रव- पतिराय दिशापति गजपतिराय संहार कनरपतिशाय मस्तक तलप्रहारिहयार,प्रौढरे खरेवन्त सामन्त ग चामर कोहण. तुर्दश भयङ्करनित्यकार पराङ्गनापुत्र सवर्णवराहलाञ्छनध्वज- समस्त राजावलि विराजित समालिङ्गित श्री सोमवंशोझव श्री परीक्षित चक्रवर्ती । तस्यपुत्रो जन्ो नयचक्रवर्ती हस्ति- नापुरे सुखसंवाथा विनोदेन राम करोति । दक्षिा दिशावरे दिग्विजययान यं विजयङ्करोमि। तुङ्गभद्राहरिदासङ्गने श्री ह.
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