पुराहत्त-संग्रह। [ इस प्रबन्ध में प्राचीन पुस्तक तथा राजा बादशाह आदि के वृत्त और आ- रम्म मे सर्कारी अमलदारी की दशा जो बुछ हाथ लगेगी प्रकाशित होगी ] ॥ अकवर और औरंगजेब ॥ काशी में राजा पटनीमल बहादुर अग्रवाल कुल के भूषण हो गए हैं। इन के उद्योग, अध्यबसाय, साहस धर्मनिष्टा, गभीर गवेपणा, वद्धि और अपूर्व- औदार्य सभी गुणप्रशंसा के योग्य हैं । कई वेर राज विप्ल्व में ऐसे लुट गए कि कुछ भी पास न रहा किन्तु अपने उद्योग से फिर करोड़ों की सम्पत्ति पैदा किया। गया काशी मथुरा वैतरणी किस तीर्थ में इन दो बनाए मंदिर घाट तलाव आदि नहीं हैं । कर्मनाशा का पक्का पुल अद्यापि इन की अतुल कीर्ति का चिन्ह बर्तमान है । फारसी विद्या के ये पारङ्गत थे । काशीखण्ड का सम्पूर्ण फारसी में इन्हों ने स्वयं अनुवाद किया है । और भी कई ग्रन्थों को हिनी और फारसी में इन्हों ने अनुबाद कराया था। वेद स्मृति पुराण काव्य कोष आदि विपय मात्र की पुस्तकै इन्हों ने संग्रह की थीं। फारसी पुस्तकों के संग्रह की तो कोई वात ही नही । अंगरेजी यद्यपि स्वयं नही जानते थे किन्तु दस पंदरह हजार की पुस्तकें अंगरेजा भापा की संग्रह की थी और सब के ऊपर फारमी मे उस का नाम विषय कवि मूल्य आदि का वृत्तांत उन के हाथ का लिखा हुआ था। उन का सरस्वती भंडार और औषधालय तीन लाख रुपये का समझा जाता था । किन्तु हाय ! वह अमूल्य भंडार नष्ट हो गया। कीट दीमक छुईमुई चूहे आदि उन अमुल्य ग्रंथो को खा गए । उनके स्वकार्य पुण छ पौत्र और अनेक प्रपौत्रों के होते भी यह अमूल्य संग्रह भस्मावशेष हो गया । मैने दो बेर इस भंडार का दर्शन किया था। रुपये का चार आना तो पहली ही बेर देखा था दूसरी वेर एक आना मात्र वचा पाया । सो भी खंडित छिन्न भिन्न । उस पुण्य कीर्ति उद मनुष्य की उदारता और अध्यवसाय और उस के संगृहीत वरतु की यह दुर्दशा देख कर मेरी छाती फट गई । इग्कन्दरिया का पुस्तकालय गानो
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