साहाला नामक जैन ग्रन्य में भी इस नगर को बड़ी शोभा तिखी है । मे- वाड़ के राजा लोग वल्लभीपुर से श्राए हैं यह पवाद बहुत दिन से था पर कोई पूस का पका प्रमाण नहीं था, अब उदयपुर के राजा में एक टूटे शि- वालय में एक प्राचीन खोदा हुआ पत्थर मिला है उस से यह सन्देह मिट गया क्योंकि उम में लिखा है कि जिन महात्माओं का जपर वर्णन हुआ उस्को साक्षी वल्लभीपुर के प्राचीर हैं । राना राजयसिंह को ससय के बने हुये एक ग्रन्य में भी लिखा है कि सौराष्ट्र देश पर वरवरों ने चढ़ाई करके बाल- कानाथ को पराजय किया । ___इस वल्लभीपुर के विप्लव में सब लोग नष्ट होगये और केवल एक प्रसर को दुहिता मात्र बची। वलभीपुर शिलादिता के समय में नाश हपा। विजय सूप के पद्मादित्य उन के शिवादित्य उन ले हरादित्य उन के सुय- शादित्य उन के सोमादित्य उन के शिलादिता । शिलादिता वा शीलादितब तक एक प्रकार का न लिख पाए हैं अब नाग नामों में और उन के समय में कितना गड़बड़ और उस के ठीक निर्णय में कितनी विपत्ति है यह दिखाते हैं। प्राय मत के अनुसार चार युग में कान बांटा गया है इस में ब्रह्मा की उत्पत्ति से सतयुग माना जाता है अब अनेक पुराणों से और प्रसिद्द विहानों के मत से पारम्भ से काल लिखते हैं। - पुराण के मत से इक्ष्वाकु को २१८५० ०० वर्ष हुए । जोन्स के मत से ६८७७विल फर्ड के मत से ४५७८ टाड के मत से ४०७७ वेण्टली के मत ३४०५॥ श्री रामचन्द्र का समय पुराण० ८६८८७८ वर्ष जोन्स ० ३८०६, वि. ल फर्ड० ३२३७, वेण्टन्ती० २८२७, टाड० ४००० ॥ __ महाराज युधिष्ठिर का समय पुराण. ४६७८ वेण्टली २४५३, और जोन्स टाड ३३०७, और विलफर्ड के मत से श्री रामचन्द्र का और युधिष्ठिर का समय एक है, विलसन के मत से ३३०७ सुमित्र का समय पुरागा० ३८७७, जोन्स २८०६, विल फर्ड २५७६, विण्टली १८८६, विल्सन० २८०२, ब्रह्मा वालों के मत से २४७७। शिशुनाग का समय पुराण. ३८३६, जोन्स २७४७, विल फर्ड २ ४७७, विल्सन २६५४ ब्रह्मावाले २४७७। __नन्द का समय पुराण ३४७७, जोन्स २५७६ विल्सन २२८२, ब्रह्मावाले र२८१। -
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