[ २ ] थपुर के वंश चरित्र को भाषा अन्य, और प्राचीन तास्वपन है । जैसे संसार के सब राजों के इतिहास प्रारम्भ में अनेक आश्चर्य घटना पूरित होते हैं वैसेही इस के भी प्रारम्भ में अनेक आश्चर्य इतिहास है। उन से कोई प्रश्न के ऐतिहा- सिक इतिवन्ति में सन्देह न करै; क्योंकि प्रायः प्राचीन इतिहत्त अनेका अञ्ज त. घटना पूर्ण होते हैं और इतिहास वेत्ता लोग उन्हीं चमत्वात इतिहासों का सारासार निसान पूर्वका बारा निर्णय बुद्धि बल से कर लेते है । राज्य खान में मेवाड़ और जैसलमेर का राज्य सग से प्राचीन है, बाड सौ बरस से भारतवर्ष में विदेशियों का राज्य प्रारम्भ हुआ, तब से अनेक राज्य बिगड़े और बने घर यह ज्यों ना तों है । गज़नी को बादशाह लोग सिन्धु नदी का गीर जल. पार करको हिन्दुस्तान में पाए उस समय जहां लेवाड़ के राज्य का सिंहासन था वहीं अब भी है। बहुत से राजा लोग उस राज्य को चारो ओर बहुत से वहां से और काहीं जा बसे पर इन को महल अब भी वहीं खड़े हैं जहां पहले खड़े थे। सतयुग से बाज तज्ञ इसी वंश की सब पुरुष सिंहासन ही पर मरे । ____ अगवान रामचन्द्र के जेष्ट पुन लव ने अपने राज्य समय में लवपुरं - र्थात् लाहौर बसाया था और उभिन्न नामका राजा लव से पचपन पीढ़ी पीछे हुआ। पुराणों में लिखा है कि सुमित्र ने कलियुग में राजा किया, और बहुत से प्रमाणों से मालूम होता है कि ये विक्रमादिता के छ पहले वर्तमान थे । इन' को पोछे कनकासेन तका राजाओं का ठीक हन्तान्त नहीं मिलता जहां तक नाम मिले हैं उस में पहला महारष उस का पुन शन्त- रीन उस का पाचनसेन और उस्का पुत्र राजा कानकासेन हुा । राजा कनिका- सेन ही सौराष्ट्र देश में आये परन्तु इस का नहीं पता लगता कि उन्हों ने खा- हौर किस हेतु से छोड़ा और किस पथ से सौराष्ट्र पहुंचे। यहां बाबा र इन्हीं ने किसी पवार वंश वो राज का अधिकार जीत कार सन् में १४४ बीरनगर नामक नगर संस्थापन किया नानकसेन को महामदनसेन उन को शोणा- दिता और उन को विजय भूप हुआ इस ने जहां अब धोल का नगर है वहां पर विजयपुर नामक नगर संस्थापन लिया और जहां अब सिहोर है लक्ष विदर्भ नगर बनाया । और वलभीपुर नामक एका बड़ा नगर बक्षा कर उसे अपनी राजधानी बनाया, अब धोल नगर से पांच कोस उत्तर पश्चिम वाल- भी नामका जो गांव है वही इस पुसिद्ध वल्लभीपुर का अवशेष है । शत्नुजय
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