[ १२ ] और उस के प्रौर २ जातियों के मित्र लो 2 वे भी बलि पावे तब तो उम ने कहा कि हम सब एका जाति कहता4 और एक अपने नाम पर गामा बसावें अहां हमारी जातो सब सुख पूर्वक निवास करें। इस सलाह को सब ने साना तब उस राज कुमार ने सब को कहा कि हम सब कट कोप कभी करें नहीं आपस में अतएव अस्ट् हमारा नाग हुआ । सब ने प्रसन्न होके साना । परंच जो जो पुरुपाये थे उनके नाम से प्रारट से भी कई जाती हो गई मो सच इस पंचनद देश में विस्त त है। उसी समय उस राज कुमार ने उक्त नगर के निकट में एका घरट बोट नास त्रास बनवाय कर निवास विाया जिस तो साज काल भारोमोट कहते हैं। वह बाम अरोड़ों का पूर्व निवास भूमि है । आज काल भी कई एक पुरुष उसी स्थान में जाय के विवाहादि करि प्राते हैं । जिन्हों को इस देश में वाचा नहीं मिलती है। पाव देश प्रभाव से उस देश के लोक याचार से हीन होते हैं दमर गदहा को अनेबाहो पुरूप रखते हैं उसपर नि:संक सवार भी हो जाते हैं अतएव नोच गिने जाते हैं नहीं तो जाती में अच्छे हैं । जो तराज कुमार चत्नी था उन को इस पांचाल देश के लोगों ने खची शाब्द से प्रसिद्ध किया क्योंकि जो श्री गुरु अंगद जी ने गुरु मुखो अक्षर बनाये उस में कोबत मन्य खकार है पौर च ] अक्षर नहीं है अतएव देश बोली से सब खती कहलाने लगे। सोई रोति अद्यावधि चली जाती है । इत्यादि प्रकार से प्रसिद्ध है । जो आ- काश निवासी ३ ऋषि है उनका नाम १ अाकर्ष २ पल्झाख्य ३ पवनिश इत्या- दि सुदर्शन मंहिता सं न्ति रखा है। रहनिश की सन्तान रहतो कहलाते हैं। यह पाख्यायिका उक्त संहिता को हादश अध्याय में विदित है । इत्यला उबहुना । (शालिग्रामदास) आज कल बहुधा लोग येष्ठ वर्ण बनने के आधिकारी हुये हैं उनसे एक रखतो गो हैं । ये लोग अपने को क्षती काहते हैं इस बात को मैं भी मानता हूं कि इनवी श्राद्य पुरुप चती थे । क्यों कि जो जो काहानियां इस विषय में सुनी गई हैं उससे स्पष्ट मान्नुम होती है कि ये लोग क्षती वंश में है। लोग कहते हैं कि खनि हयहो वंश के वंश में है सहस्रार्जुन से और परशराम से जब युद्ध ठनी तो परशुरामने उस वंशकी कलियों को मार डान्ता और यह प्रतिज्ञा किया कि इस बंश नोचनी को निश कर डालेंगे। यह
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