पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/३६१

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गद्य-रचना के मैद २७७ मुख से ही चरित्र-चित्रण करता है। इन दोनों शैलियों के उपयोग पर हो औपन्यासिक को सफलता निर्भर है। ऐसे चरित्र-चित्रण के लिए उपन्यासकार को गहरा सांसारिक अनुभव और यथार्थ प्राकृतिक ज्ञान होना चाहिए। उपन्यास का तीसरा विषय है कथोपकथन ( Dialogue ) अर्थात् पात्रो का पारस्परिक वार्तालाप । कथोपकथन का उद्देश्य है कथावस्तु को विकसित करना और पात्रों को प्रवृत्तियों को विशेषताओं को प्रकट करना। कथोपकथन का स्वाभाविक, सुसंगत, प्रसंग तथा परिस्थिति के अनुकूल, सुसम्बद्ध, सरस, सजीव, भाव-व्यंजक और प्रभावपूर्ण होना उचित है । जो उपन्यास सरस होता है, रसोद्र क करने में समर्थ होता है, वह पाठकों पर अच्छा प्रभाव डालता है ; क्योंकि मानव-प्रकृति सदा से रस-पिपासु होती है। जो उपन्यास अपनी सरसता से जितना हो पाठकों का हृदयद्रावक होता है उतना हो वह सफल समझा जाता है। कथावस्तु, घटनाओं, पात्रों और परस्थितियों के अनुकूल हो रस-विधान करना चाहिए। इसके लिए रस-विषयक शास्त्रीय ज्ञान अत्यन्त आवश्यक है। ___ चौथा उपन्यास-तत्त्व परिस्थिति (Circumstances) है। अर्थात्, जिस देश, काल और प्रसंग में जो घटनाएँ घटित होती हैं उनके समुदाय को ही परिस्थिति कहते हैं। जो लेखक सामाजिक, लौकिक और पारिवारिक आचार-विचार से अनभिज्ञ होगा, वह पात्रों और घटनाओं में सामञ्जस्य स्थापित करने में कभी समर्थ नहीं हो सकता। अध्ययनशील औपन्यासिक हो देश-काल के विपरीत कोई बात नहीं लिख सकता । उपन्यास में प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण भी ऐसा ही होना चाहिए जिसका कथावस्तु, घटना या पात्रों से कुछ-न-कुछ सम्बन्ध हो। आधुनिक उपन्यासों का उद्देश्य पहले का-सा जीवन-सुधार, शिक्षा-दान आदि नहीं रह गया। अब उनसे किसी उच्च आदर्श या नैतिक सिद्धान्त को प्राप्ति को आशा करना व्यर्थ है। अब तो पात्रों के चरित्र-चित्रण, मानव-जीवन की व्याख्या काल्पनिक नहीं, सच्ची वस्तुओं का यथायथ उपस्थापन, कला-प्रदर्शन, वास्तव और कला के समीचीन समीकरण पर ही अधिक ध्यान दिया जाने लगा है। आधुनिक कलाकारों की प्रवृत्ति धार्मिक तथा नैतिक पतन की ओर ही अग्रसर हो रही है जो वांछनीय नहीं। फ्रायडवादी उपन्यासों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे सदाचार का पैर लड़खड़ा रहा है। कोई ऐसा विषय नहीं, जिसको भित्ति पर उपन्यास्त्र के महल खड़े न किये जा सकते हो। उपन्यासों में भी विज्ञान अपना घर बनाने लगा है जिससे उनकी मनोरंजकता दूर होती जा रही है।