पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/३४९

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काव्य के भेद (नवीन) के आधार पर लिखे जायँ, साहित्यालोचन और कला-विवेचक रचनाएँ सब इसी विभाग के अन्तर्गत हैं। दूसरा, वे काव्य, जिनमें कवि अपने अनुभव की बातें छोड़कर संसार की अन्यान्य बातें अर्थात् मानव जीवन से सम्बन्ध रखनेवाली साधारण बातें लिखता है। इस श्रेणी के अन्तर्गत साहित्य की शैली पर रचे हुए इतिहास, आख्यायिकाएँ, उपन्यास, नाटक आदि हैं। तीसरा, वर्णनात्मक काव्य इस विभाग का कुछ अंश अात्मानुभव के अन्तर्गत भी आ जाता है।" ___डंटन के मतानुसार काव्य दो प्रकार का होता है-१ एक शक्ति काव्य (poetry as energy ) और २ दूसरा कलाकाव्य (poetry as an art)| पहले में लोकप्रवृत्ति को परिचालन करनेवाला प्रनाव होता है और दूसरे में मनोरंजन करना या लौकिक आनन्द देने का एकमात्र उद्देश्य रहता है। पाश्चात्य-समीक्षक एक प्रकार से काव्य के और दो भेद करते हैं-एक वाह्यार्थ-निरूपक और दूसरा स्वानुभूति-निदर्शक । पहले को जगत् को वास्तविक व्यञ्जना होने के कारण प्राकृत वा यथार्थ काव्य कहते हैं और दूसरे को अन्तःकरण को प्रबल प्रेरणा और व्यंजना की तीव्रता के कारण संगीत रूप में प्रस्फुटित होने से गीतिकाव्य कहते हैं। पहले में प्रबन्ध-काव्य, कथा-काव्य और नाटक अते हैं और दूसरे में स्वच्छन्द मुक्तक रचनाएँ गिनी जाती हैं। उक्त दोनों भेदों को विषय-प्रधान काव्य या विषयिप्रधान काव्य और भाव- प्रधान काव्य भी कहते हैं। विषय-प्रधान का सम्बन्ध वाह्य जगत् के वर्णन के साथ है। इस कारण इसे वर्णन-प्रधान वा वर्णनात्मक वा वाह्यविषयात्मक काव्य कहते हैं। भावप्रधान काव्य में उत्कट मनोवेगों-भावों के प्रदर्शन की प्रधानता रहती है। इससे इसे भावात्मक, व्यक्तित्व प्रधान वा आत्माभिव्यंजक काव्य कहते हैं। ' पाश्चात्य विद्वानों ने काव्य के नाटक-काव्य ( Dramatic Poetry), प्रकृत ( Realistic), आदर्शात्मक ( Idealistic ), उपदेशात्मक ( Didactic) और सौन्दर्य-चित्रणात्मक ( Artistic) काव्य आदि अनेक भेद किये है। डाक्टर सुधीरकुमार दासगुप्त ने मुख्यतः काव्य के दो भेद किये हैं-द्रति काव्य और दोप्ति काव्य । द्र तिमय काव्य का अवलंबन है हृदयगत भाव, जो चित्त में आस्वाद उत्पन्न करता है । दीप्तिमय काव्य का अवलंबन है बुद्धिगत रम्याथ जो चित्त में रम्यबोध को उपजाता है। द्र तिकाव्य के तीन भेद हैं-रसोक्ति, भावोक्ति और स्वभावोक्ति, और दीप्ति काव्य के दो भेद हैं-गौरवोक्ति और वक्रोक्ति । स्वभावोक्ति में प्रकृति और प्राणि- सम्बन्धी कविताएँ और वक्रोक्ति में अर्थ-वक्रोक्ति और अलंकास्वक्रोक्ति की कविताएँ श्राती हैं। भिन्न-भिन्न विचारकों द्वारा समय-समय पर जो काव्य के अनेक भेद-उपभेद