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मिथ्या आदर्शवाद का उदाहरण―
जानते न अधम उधारन तिहारो नाम, और की न जानें पाप हम तो न करते!
मिथ्या रहस्यवाद―
ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भर छाछ पै नाच नचावत।
इन का प्रभाव इतना बढ़ा कि शुद्ध आदर्शवादी महाकवि तुलसीदास का रामायण काव्य न हो कर धर्म ग्रन्थ बन गया। सचे रहस्यवादी पुरानी चाल की छोटी-छोटी मण्डलियों में लावनी गाने और चंग खड़काने लगे।