पृष्ठ:काव्य-निर्णय.djvu/६६

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काव्य- निय वि०-दासजी ने यह सवैया अपने 'शृंगार-निर्णय' नामक नायिका-भेद के प्रथ में "ज्ञातयौवना" नायिका के तथा 'रसकुसुमाकर' के संग्रह-कर्ता ददुवा साहिब अयोध्या ने 'मुग्धा' नायिका के उदाहरण में दिया है। वयः-क्रम के अनुसार 'मुग्धा' नायिका के 'ज्ञात' और 'अज्ञात' यौवना दो भेद होते हैं। ये दो भेद-ज्ञाताशात यौवना ही मुग्धा के प्रसिद्ध हैं, फिर भी ब्रजभाषा के रीत्याचार्यों ने जिनमें-श्रीकेशव, चिंतमणि, देव और रसलीन प्रमुख हैं, 'शातयौवना के अन्य भेदोपभेद मानते हुए विविध मत दिये हैं, जैसे- (१) केशवदास-"नवलबधू , नवयौवना, नवल अनंगा, लज्जाप्रायः।" (२) चिंतामणि-"वयःसंधि, अविदित-यौवना, अविदित-कामा, विदित- मनोभवा-यौवना, नवोढ़ा, विश्रव्धनवोढा ।" (३) देव-“वयःसंधि ( अज्ञात-यौवना १२ से १३वे वर्ष के प्रारंभ तक) नवलबधू (१३वाँ वर्ष), नवयौवना (ज्ञातयौवना का १४वाँ वर्ष), नवल अनंगा (१५वाँ वर्ष), सलज्जा-रतिप्रिया (विश्रब्धनवोढा, १६बाँ वर्ष) रूप पाँच भेद ।" (४) रसलोन - "अंकुरित यौवना, शैशव यौवना, नव यौवना, नवल अनंगा, नवल बधू ।" नव-यौवना-अज्ञात यौवना, दीर्घात यौवना (ज्ञात यौवना)। नवल-अनंगा-अविदित काम, विदित काम । नवल बधू-नवोढा, विश्रब्धनवोढा, लज्जा-अासक्तरतिकोविदा । इनके अतरिक्त कुछ कवि-कोविदों द्वारा 'मुग्धा' के नवलबधू आदि भेद मान फिर उस नवलबधू के ज्ञात और अज्ञात यौवना भेद भी स्वीकार किये गये हैं और कुछ कवियों ने मुग्धा को स्वकीया नायिका का ही पूर्व भेद स्वीकार करते हुए पृथक् वयःक्रम के अंतर्गत मान उसके परकीया मुग्धा, परकीया- अज्ञात-यौवना, परकीया-जात-यौवना, सामान्या-मुग्धा, सामान्मा अज्ञात-यौवना सामान्या ज्ञात-यौवना-आदि भेद भी माने हैं । यही नहीं मुग्धा का-'मुरिबैठना,' उसकी सेन, सुरतारंभ, सुरति, सुरतांत का विशद वर्णन भी मिलता है । अस्तु "ज्ञातयौवना"-- "बिन-जाँ "अग्यात" है, जानें जोयन ग्यात । मुग्धा के है भेद ए, कबि सब बरनत जात ॥" "निज तन जोबन-भागमन, जॉन परत है जाहि । कवि-कोविद सब कहत हैं, ग्यात-जोबना ताहि ।" -लसज (मतिराम)