पृष्ठ:काव्य-निर्णय.djvu/५६३

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५२८ काव्य-निर्णय अतः दासजी ने, संस्कृत के प्राचीन श्राचार्यों के अनुसार गुणों का नया वर्गीकरण करते हुए इन दसों गुणों को-"माधुर्य, अोज और प्रसाद" अक्षर-गुण वर्ग में, "समता, कांति और उदारता" दोषाभाव वर्ग में, "अर्थाव्यक्ति और समाधि" अर्थ-गुण वर्ग में तथा "श्लेष और पुनरुक्ति-प्रकाश गुण" को वाक्य- गुण रूप वर्ग में उल्लेख किया है । संस्कृत-रीति-नयों में भी श्रीभरत मुनि पोषित इन गुणों की नामावली दंडी के अनुसार यही है- "श्लेषः प्रसादः समता माधुर्य सुकुमारता । अर्थव्यक्तिरुदारवमोजः कांतिसमाधयः ॥" श्रीभरत मुनि ने भी गुण-संख्या दश मानी है, यथा- "श्लेषः प्रसादः समतासमाधिः माधुर्यमोजः पद सौकुमार्यम् । भर्थस्य च व्यक्तिरुदारता च कांतिश्च काव्यस्य गुणा दर्शते ॥" ......दासजी ने इन संस्कृत से अपनाये हुए दम गुणों में सौकुमार्य ( सुकुमारता ) गुण के स्थान पर 'पुनरुक्ति-प्रकाश' नाम का नया गुण कथन किया है । यह नाम-विकल्प आपने क्यों और कैसे किया ? यह प्रकाश्य रूप से कहना कठिन है, फिर भी कहा जा सकता है कि 'सौकुमार्य' का माधुर्य गुण में समावेश हो हो जाता है इसलिये उसको पृथक सत्ता पर स्वीकृति की मोहर नहीं लगायी जा सकती। अपितु, "पुनरुक्ति-प्रकाश" रूप एक अन्य प्रकार के पद-रचना चमत्कार को, जिसका ब्रजभापा-काव्य में काफी प्रचार हो गया था, गुणों में समाविष्ट कर लिया ज्ञात होता है। साथ-ही दासजी का यह नाम-विकल्प, वाम- नाचार्य के "शब्द-गुण-सौकुमार्य” के अर्थ-"शन्द-गत-अपारुष्य" के अधिक अनुकूल है, क्योंकि 'पुनरुक्ति-प्रकाश' की रम्य पदावृत्ति सौकुमार्यता का एक साधन मानी जा सकती है। अतएव “पुनरुक्ति-प्रकाश" को सौकुमार्य के स्थान पर गुण विशेष मानना ब्रजभाषा-काव्य के अति उपयुक्त है। संस्कृत के साहित्य-ग्रंथों में गुण-संख्या के प्रति मतभेद है। श्री भरत मुनि- आदि श्राचार्यों ने दस गुण, वामन ने अर्थ-गुण-भेद से बीस (२०) गुण, भोजराज ने प्रथम चौबीस ( २४ ) और बाद में गुण को वाह्य, आभ्यंतर और वैशेषिक रूप में विभक्त कर प्रत्येक के २४ + २४ अर्थात् कुल बहत्तर (७२) भेद माने हैं । अग्निपुराण में गुण-शब्द, अथं और उभय रूप से अठारह (१८) और कुतक ने छह गुण कहे हैं। श्री मम्मट और विश्वनाथ चक्रवर्ती- श्रादि ने तीन गुणों का ही उल्लेख किया है । श्री भरतादि-कथित गुण-नामावली दी जा चुकी है । वामन-प्रणीत नामावलि भी वही है । केवल अर्थ के सहारे पूर्व-कथित लक्षणों से भिन्न लक्षण लिखकर