पृष्ठ:काव्य-निर्णय.djvu/४६०

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४२५ काव्य-निर्णय 'टोडर' सुकवि तैसें मन में विचार देखो, धर्म - बिन बँन जैसें, पंछी बिन-पर है। सुदर सरीर होइ, महा रैनधीर होह, बीर होइ भीम-सौ भिरैया भाठों जाँम को । गरुभौ गुमान होइ, भलो साबधान होइ, साँन होइ साहिबी प्रताप - पुज-धाम को। भनँत 'भमान' जो पै मघवा महोप होइ, दीप होइ बंस को जनैया गुन-ग्राम कौ । सर्व गुन-ग्याता होइ, जद्यपि विधाता होइ, दाता जौ न होइ तौ हमारे कोंन कॉम कौ ॥ अथ प्रतिषेध उदाहरन जाथ- गैयन-चरैबो है, न, गिरि को उठबौ है न, .. पाबक-चैबो हैं न, पाहन को तारिबौ। धनुष-चढ्बौ है न, बसन बढ़ेबो है न, ___ नाग - नाँथ लैबो है न, गनिका उधारियो । मधुसुर-मारिबौ नों, बकासुर-बिदारिबौ नाँ, बारन - उधारिबौ' नाँ मँन में बिचारिबौ । हयाँ ५० तौ न जइ है पेस, सुनों रॉम-भुबनेस, सब ते कठिन बेस, मेरे क्लेस-टारिबौ। "प्रतिषेध का निम्नलिखित उदाहरण भी सुंदर है, यथा- "ऐसी करी करतत बलाइ ल्यों, नीको बढ़ाई लहौ जग तातें। माई नई सरुनाई तिहारी-ई, ऐसे छके चितबौ दिन-रातें ॥ लीजिऐ दोन हो, दीजिए जॉन, तिहारी सबै हम जानती घातें। जाँनों हमें जिन वे बँनिता, जिन सों तुम ऐसी करौ बलि बातें।" पा०-१.२. (का० ) (३०) (प्र. ) नहीं...! ३, ४. ( का० ) (३०) (प्र.) नहीं... ५.( का०)(प्र०) नथि...1६. (रा. पु. का०) उछारिवौ.... ७.(का०) या ते...1(३०)यां ते न जैवो पेस... .(का० ) (३०) (प्र.(सं० पु. प्र.) मेरो...।