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३५६ काव्य-निर्णय बुरा पारतोषिक मिला, जो तृतीय 'विषम' का फल है-विषय है । साथ-ही नायिका-द्वारा प्रियतम के विदेश से श्रागमन की शुभ सूचना देनेवाली दूती वा दासी को गाली के साथ-साथ घर से निकालना भी कुछ समझ में नहीं पाता। अस्तु, इस गाली और घर से निकाले जाने का गूढ़ रहस्यमय कारण उन्हीं (वृदजी ) से सुनिये, यथा- "पिय को भागम सुनति-ही, फूली सब तँन नारि । विरह-दसा देखी न पिय, ताते दई निकारि ॥" "इति श्री सकल कलाधर-कलाधरयंसावतंस श्री महाराज कुमार श्री बाबू हिंदूपति-विरचिते “काव्य-निरनए" बिरुद्धा- लंकार बरननो नाम यदसोध्यायः ॥"