यथायोग्य का उदाहरण (३८८), सम का पुनः उदाहरण, द्वितीय सम-कार्य-योग्य कार्य कथन का उदाहरण (३८६), तृतीय सम उद्यम कर पाने में उत्तम का उदाहरणा, पुनः उदाहरण, समाधि-अलंकार लक्षण वर्णन(३६०), समाधि-उदाहरण, परिवृत्त अलंकार लक्षण (३६२),परिवृत्त उदाहरणा (३६४), भाविक अलंकार लक्षण (३६५),भाविक भूत काल का उदाहरण, द्वितीय भविष्य काल का उदाहरण (३६७), प्रहर्षण-अलंकार लक्षण (३६८), उदाहरण वर्णन (४००), द्वितीय प्रहर्षण उदाहरण, तृतीय प्रहर्पण उदाहरण (४०२), विषादन अलंकार लक्षण,उदाहरण वर्णन (४०३), दूसरा उदाहरण (४०४), संभव-असंभव अलंकार लक्षण (४०७), असंभव उदाहरणा, संभव-संभावना उदाहरण (४०८), संभव दूसरा उदाहरणा (४०६), समुच्चय अलंकार लक्षण(४१०), प्रथम समुच्चय उदाहरण, द्वितीय समुच्चय उदाहरण (४१२),तृतीय समुच्चय उदाहरए। (४१३), अन्योन्यालंकार लक्षण (४१४), अन्योन्य के दूसरे-दूसरे उदाहरणा (४१५), विकल्प अलंकार लक्षण (४१७),विकल्प उदाहरण (४१८), सहोक्ति, विनोक्ति और प्रतिषेध अलंकार लक्षण (४१६), सहोकि उदाहरण, विनोक्ति उदाहरण (४२३),प्रतिषेध उदाहरण (४२५), विधि अलंकार लक्षण (४२६), विधि उदाहरण, काव्यार्थापत्ति अलंकार लक्षण (४२७), काव्यार्थापत्ति उदाहरण (४२६):
सूक्ष्मादिलंकार वर्णन (४३१), सूक्ष्मालंकार लक्षण (४३२), उदाहरण (४३३), पिहित-अलंकार लक्षण (४३४), उदाहरण (४३५) युक्ति अलंकार लक्षण-उदाहरण (४३६), गूढ़ोत्तर अलंकार लक्षण-उदाहरण (४३८), गूढोक्ति अलंकार लक्षण (४३६), उदाहरण। (४४०), मिथ्या-ध्यवसाय अलंकार लक्षण (४४२), उदाहरण (४४३), ललित अलंकार लक्षण (४४४), उदाहरणा (४४५), विवृतोक्ति अलंकार लक्षण (४४६),उदाहरण (४४७), व्याजोक्ति लक्षण (४४८), उदाहरणा (४५०), दूसरा उदाहरण। (४५१), परिकर-अलंकार लक्षण (४५२), उदाहरण। (४५४), परिकरांकुर अलंकार लक्षण-उदाहरण। (४५५):
स्वभावोक्ति-आदि अलंकार वर्णन (४५७), स्वभावोक्ति लक्षण (४५८),। प्रथम स्वभावोक्ति-जाति वर्णन का उदाहरणा, द्वितीय स्वभावोक्ति-स्वभाव