कालिदास का प्राविर्भाव-काल । अवश्य । पर उनके मुख्य अपस्थिति-स्थानों और स्थानीय प्रयों का उल्लेख उन प्रन्यों में ठीक पैसा नहीं जैसा कि रघुवंश में है। उनकी अवस्थिति आदि का ठीक निश्चय नहीं किया जा सकता। इस पर यह कहा जा सकता है कि, सम्भय है, कालिदास मे इसके बहुत समय याद इन घट- नाओं के आधार पर अपने काव्य की रचना की हो। इस सम्भावना के खण्डन में भी यथेष्ट प्रमाण मौजूद हैं। मन्द- सोर में ४७२ ईसवी का जो शिलालेख पाया गया है उसके कई श्लोक में मेघदूत के श्लोकों को छाया दिखाई देती है। इससे सिद्ध है कि मेघदूत उस शिलालेख के खोदे जाने के अवश्य कुछ पहले लिखा गया था। रचना की श्रेष्ठता, छन्दों की मधुरता और उपमा प्रादि अलङ्कारों की सार्थकता से सूचित है कि कालिदास का रघुवंश उनके मेघदूत से कम से कम २० वर्ष याद लिखा गया है। ईसा की सातवी सदी में कालिदास सारे भारत में प्रसिद्ध हो चुके थे। यह पात पाहोल के शिलालेख से सिद्ध है। आठवीं शताम्दी में कुमारिल को पुस्तक में कालिदास का माम है। गन्धयाह मामक प्रसिद्ध प्रारुत-कपि ने रघुवंश, मेघदूत और विक्रमो. घंशी के श्लोक अपने काव्य में उद्धत किये हैं। दश- शताब्दी में कालिदास कविकुल-शिरोमणि माने जा चुके थे। क्योंकि, पोना नामक कवि ने इस बात का अहहार प्रकट किया है कि मैं कालिदास से Jष्ट कवि हैं।
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