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कालिदास का आविर्भाय-काला पर साहित्य में कालिदास की तरह अपनी प्रतिभा का विकाश करनेवाले यहुत कम कवि देखे जाते है। कोलिदास की तरह प्रतिभा का विकाश होना साहित्य के एक अद्भुत युग में ही सम्भव है। साहित्यज्ञों ने, प्रधान प्रधान लक्षणों के अनुसार, साहित्य के सारे युगों को तीन भागों में विभक्त किया है। ये विभाग है-प्राचीन, मध्य और नयोत्थित। यह यात केवल योरप के साहित्य की नहीं, किन्तु प्रायः सभी जातीय साहित्यों की है। सभी के ये तीन विभाग किये जा सकते हैं। साहित्य-द्वारा प्रकाश करने का मुख्य विपय या तो पहिर्जगत् होता है या अन्तर्जगत्। भिन्न भिन्न युगों में इन दोनों का सम्बन्ध भी भिन्न भिन्न होता है। एक युग के ‘सभी साहित्यों की रचना में कुछ न कुछ सादृश्य अवश्य रहता है। जय किसी साहित्य में हम देखते हैं कि अन्तर्जगत् 'और परजगत् , क्रम झम से, याह्यजगत् और इहजगत् को दयाकर उससे बढ़ गये हैं तय हम समझ लेते हैं कि उस • साहित्य या उस काल में मध्ययुग (Medieval ) का प्रभाव ‘प्रबल है। इसके बहुत पहले भूतकाल के अन्धकार को दूर करके कभी कभी प्राचीन दाल का एक प्रकाशमान और -सौम्य अाभास देख पड़ता है। उस समय यहिर्जगत् , अन्तर्जगत्, दृश्य जगत् और अदृश्य जगत्-इन में से किसी