[कालिदास का आविर्भाव-काल । पड़ी है। श्रय "वेतालभट्ट-घरखर्पर फालिदासा" ही भर कहकर कालिदास को नवरत्नों में गिनने अथवा निमाम-संवत् की पहली शतादी में उन्हें मानने से काम नहीं चलता। अमर कवि शेक्सपियर अपनी उत्तम नाट्य-रचना के कारण ही शायद अपराधी ठहराये गये हैं। इसीसे उनपर वेकन- विषयक कलङ्क लगाया गया है। कुछ लोगों ने यह कहने का साहस किया है कि उनके नाटक येकन नामक दार्शनिक विद्वान् के लिखे हुए है। संसार का जब यह हाल है तय आश्चर्य नहीं ओकुमार-सम्भर और शकुन्तला के कर्ता हमारे कालिदास को लोग फाश्मीर का राजा मातृगुप्त यनायें और राजसिंहासन के भार से उन्हें पीड़ित करें। अन्ध-कवि होमर की मातृ-भूमि बनने के लिए भी तो सैकड़ो नगरों का परस्पर बहुत कुछ याद विवाद हो चुका है। इस दशा में कालिदास को अपने ही यहाँ उत्पन होने का दावा करने में यदि भारत की चारों दिशायें-नदिया, काश्मीर, और सिंहल तक परस्पर प्रतिद्वन्दिता प्रारम्भ कर दें तो कोई विशेष यात नहीं। इसके सिवा कालिदास की जन्म-तिथि के विषय में भी यदि देश के विद्वान् ईसा की पहली शताब्दी से हजार घर्प आगे तक की दौड़ न लगायें तो उनकी विद्वत्ता की तारीफ ही शटले साहप ने प्रमाण उपस्थित कर दिया कि कालिदास,सा की ग्यारह
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