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[कालिदास का श्राविर्भाय-काल । चालुक्यवंशीय राजा दूसरे पुलकेशी के समय का एक शिलालेख मिला है। यह ६३४ ईसवी का है। उस शिलालेख में खुदे हुर श्लोकों का कर्ता रविकोनि नामक एक कवि है। उसमें उक्त कवि ने कालिदास का नाम दिया है। अतपय कालिदास ईसा की सातवीं शताब्दी के पहले अवश्य वर्तमान थे। उसके बाद के वे नहीं हो सकते । कालिदास का लिखा हुआ मालविकाग्निमित्र नामक एक नाटक है। उसके नायक का नाम अग्निमित्र है। अग्निमित्र के पिता का नाम पुष्यमित्र था। इसी पुष्यमित्र ने सुनयंश की स्थापना, ईसा के १७६ वर्ष पहले, की थी। इससे यह नियित हुया कि ईसा के पूर्व १७६ वर्ष से लेकर ईसा की सातवीं शताब्दी के बीच में किसी समय कालिदास हुए होंगे। अब यह अनुमन्धान करना चाहिए कि इस सात-पाठ सौ वर्ष के मध्य में किस समय फालिदास का होना सम्मर है। कालिदास में रघवंश में इन्दुमती के स्वयंघर का पर्णन किया है। उस स्वयंवर में उपस्थित राजायों में सप से प्रथम स्थान कानिदास मे माय-नरेश को दिया है। प्राचीन समय में पड़े बड़े कधि अवश्य ही किसी न किसी राजा के प्राथय में रहते थे। अपने माययदाना का गुण- कीनन करना और उसकी सयम पदफार प्रतिष्ठा करना