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फालिदास लिखी। पुष परीक्षकों का प्रयास है कि? के समय में ही कालिदास थे। इसीसे आश्रयदाता के पिता तक ही का वृत्तान्त लिमा पे ईसवी सन् के कोई :०० वर्ष पहले विधर पाल्पना ठीक नहीं। अग्निवर्ण के समय से रप की महिमा चौर प्रभुना बहुत कुछ क्षीण ६ अतपप आगे होनेवाले उपप्लणे चौर राज्यकान्ति' फरने की आवश्यकता कालिदास ने न समझी। राजाओं का वृत्तान्त लिसने से काव्य का विस्ता यह जाता! एक यात और भी है। यदि कालिद घर्ण के पुत्र के समय में होते तो ये उस राजा क हाल अपश्य लिखते। अपने श्राश्रयदाता अथवा राजा का वर्णन लिखकर पुस्तक की पूर्ति कर दे तरह युकि-सात नहीं शात होता। यह भी तो सं यात है कि अग्निवर्ण के पुत्र के समय में होकर पिता अग्निवर्ण की कामुकता का वर्णन कैसे कर सा अतएप यह कल्पना प्राय नही। कुछ लोगों की राय है कि फालिदास, विकास के आरम्म में, महाराज विक्रमादित्य की सभा में थे। राय ठीक भी है और ठीक भी नही । stori