कालिदास के विषय पुस्तक हमारे देखने में नहीं आई। करि मोर इमको कविता से केवल पातही कम अभिमता रमते हैं। हग पुम्नक से धीरों का नहीं सो एंगे दोगडी कुद मनोरन शयश्य हो जाए दीखतपुर, गण्यांली । महासम्मसाद ..