[कालिदास का श्राविर्भाव-काल । रजा के नाम का न मिलना उसके अनस्तित्व का योधक नहीं माना जा सकता। पुराने जमाने के सारे ऐतिहासिक लेख साप्त है कहाँ? यदि चे सत्र प्राप्त होजाते और उनमें विक्रमा- देत्य का नाम न मिलता तो ऐसी शङ्का हो सकती थी। पर त ऐसी नहीं है। विममादित्य का नाम जरूर मिलता है। दक्षिण में शातवाहन-पंशीय हाल नामक एक राजा हो गया है। विन्सेंट स्मिथ साहय ने उसका समय ६८ ईसपी नेशित किया है। इस हाल ने गाया-सप्तशती नाम की एफ पुस्तक, नावीन महाराष्ट्री भाषा में, लिखी है। उसके सठयें पद्य का संस्थत रूपान्तर इस प्रकार है- संवाहनसुपरसतोपितेन ददता तय करे लतम् । धरणेन विममादित्यचरितमनुशिक्षितं तस्याः॥ इस पद्य में विप्रमादित्य की उदारता का वर्णन है-- उसके द्वारा एक लाप रपये दिये जाने का उल्लेख है। इससे इस यात का पूरा प्रमाण मिलता है कि हाल-नरेश के पहले विक्रमादित्य नाम का दानशील राजा कोई ज़रूर था। अय इस बात का विचार करना है कि इस राजा ने शमों का पराभय किया था या नहीं ! उसका शफारि होना यथार्थ है पा अयथार्थ! डाक्टर हार्नले और कोलहान आदि का ख़याल है कि मुलतान के पास कार में यशोधम्मा ने ही मिहिरकुल को,
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