[कालिदास का प्राविभव-काल । विश्राम-संपत् पर एक बड़ा ही गवेषणा पूर्ण लेख लिखकर इन बातों का खण्डन किया है। उन्होंने ईसा के पहले एक विक्रमादित्य के अस्तित्व का ग्रन्थ-लिखित प्रमाण भी दिया है और यह भी सिद्ध किया है कि इस नाम का संवत् उसी प्राचीन विक्रमादित्य कर चलाया हुअा है। वैद्य महाशय 'के लेख का सारांश भागे देखिये। अगस्त १६११ हमारे समान इतर साधारण जनों का विश्वास है कि प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य मालव-देश के अधीश्वर थे । धारा नगरी उनकी राजधानी थी। विद्वानों और कवियों के 'ये बड़े भारी पाश्रयदाता थे। स्वयं भी कवि थे । शकी, अर्थात् सीदियन ग्रीक लोगों को उन्होंने बहुत पड़ी हार दी श्री। इससे ये शकारि कहलाते हैं। इसी जीत के उपरादय में उन्होंने अपना संयत् चलाया जिसे कुछ कम दो हजार वर्ष हुए। इस हिसार से विक्रमादित्य का समय ईसा के ५७ वर्ष पहले सिद्ध होता है। . परन्तु इस परम्परा प्राप्त जनश्रुति या विश्वास को कितने ही पुरातत्यक्ष विश्वसनीय नहीं समझते । फ्लीट, हार्नसे, कोलहाने, नूलर और फर्गुसन आदि विदेशी और
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