[कालिदास का प्राविर्भाव-शाल । आपका कहना है कि रघुवंश में डोरयु का दिग्विजय है यह रयु का नहीं, यथार्थ में यह स्कन्दगुप्त का दिग्विजय-वर्णन है। धापने रघुवंश में गुप्तवंश के प्रायः सभी प्रसिद्ध राजाओं के नामद निकाले हैं। यहाँ तक कि कुमारगुप्त को खुश करने ही के लिये कालिदास के द्वारा कुमारसम्मय की रचना का अनुमान प्रापने किया है। इसके सिवा और भी कितनी ही पड़ी विचित्र कल्पनाये यापने की हैं। इनके अनुसार कालिदास ईसा की पाँची सदी में विद्यमान थे। कुछ समय से साहित्याचार्य रामावतार शर्मा भी इस तरह की पुरानी बातों की खोज में प्रवृत्त हुए हैं। आपने भी इस विषय में अपना मत प्रकाशित किया है। आपकी राय है कि कालिदास द्वितीय चन्द्रगुप्त और उसके पुत्र कुमारगुप्त के समय में थे। यह मयर जय मजूमदार पायू तक पहुंची तथ उन्होंने मार्ग-रिष्य में घर लेस फा- शित किया जिसका उल्लेरा कार हो चुका है। उसमें आप कहते हैं कि कालिदास का स्थितियाल ९८ निकालने फा यश जो पाण्डेय जी लेना चाहते हैं वह उन्हें मही मिल सपता। उसके पाने का अधिकारी प्रकला में हो । पाकि इस माधिकार को मैंने यन पहले किया था। इस लेप के लिनने की सयर शायद पाण्डेय जी को पहले ही हो गई। इससे घर मून के माइते-रिव्यू में ममदार या
पृष्ठ:कालिदास.djvu/३३
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।