कालिदास]
फाटकर या तो यही खेतही में रमते थे, या पाश्रम के हाते में किसी सुली जगह, या, यहीं कहीं छप्परों के नीचे। अन्यया नगर की गाय-भैंसों से उनके खाये जाने का डर न होता। इससे सिद्ध है कि उस समय चोरी का तो कुछ ज़िक्र - नहीं; पशु भी अपियों के ग्राम तक नहीं पहुँचने पाते थे उनके मालिक उनकी रखयालो का यड़ा ही अच्छा बन्दो- यस्त रखते थे। यहुत सम्भव है, इसमें गफलत होने पर उन्हें सस राजदण्ड भोगना पड़ता रहा हो।
अपि प्रसन्नेन महर्षिणा त्वं
___ सम्यग्विनीयानुमतो गृहाय ।
कालोधयं सामिन, द्वितीय।
सर्वोपकारममाश्रम से।
सब विद्याओं में निष्णात करके आपके गुरु ने आपको गृहस्थाश्रम-सुख भोगने के लिए करा प्रसन्नता- पूर्वक श्राशा दे दी है ? ब्रह्मचर्य, पानमस्य और संन्यास-- इन तीनों आश्रमों पर उपकार करने का सामर्थ्य एक गृहस्थाथम ही में है। आपकी उम्र अब उसमें प्रवेश करने के सर्वथा योग्य है।
तपाहतो नाभिगमेन तृप्त
ममोनियोगक्रिययोमु मे।
.भयानमा शासितुरात्मना या
प्राप्तोऽसि सम्भावयितु पनाम्माम ।