कालिदास।
के हिसाब से आपने सयकी सातिरदारी की। सामाल गवर्नमेंट के पोलिटिकल महकमे ने जिस तरह स्वदेशी राजाओं की इज्जत-मापक फो तौलकर सयकी सलामी और मुलाकात घरह के कायदे पनाये है, जान पड़ता है, पैसे ही कायदे कालिदास के जमाने में भी थे।
अब शार ने अपने सहचारियों के साथ हिमपान के पुर में प्रवेश किया तय नियों में विलक्षण पलपली मय गई। जो जिस दशा में थी पह उसी दशा में विरूपात पर को देखने दौड़ी। यहाँ पर कालिदास की एक गात हमको पसन्द नहीं आई। इस मौके पर उन्होंने कुमार-सम्भर में जो फपिता की है उसफा पातसा अंश उन्होंने उठाकर पैसा ही रपुर्घश में इन्दुमती और मज के पियाद-पर्णन में रख दिया है। दस-पय श्लोकपिलकुल वैसे ही ले लिए है। कुप श्लोकों के एक-एक दोनो परण मापने से लिये हैं। कुछ इलाकों का मि माय मापने घोडासा बदल दिया है। ऐसा करने में पति जगहोंने किमीको घोरी नहीं की, तथापि उन पर मानता का कोर जार माना है। जो महाऋषि है, निग पर सरस्वती की मनमा , पर एक सा की कविता रोसरे प्रमातिाको को अनुरक्षित करने पर नई परनामी