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[ कालिदाय के मेघदूत का रहस्यो'

सशक रही होगी। प्रेम से जीयन पवित्र हो सकता है, प्रेम से जीवन को अलौकिक सौन्दर्य प्राप्त हो सकता है। मेम से जीयन सार्थक हो सकता है । मनुष्य-प्रम से ईश्वर सम्बन्धी प्रेम की उत्पत्ति हो सकती है-इसके कितने ही उदाहरण इस देश में पाये जाते हैं । गोपियों के प्रेम को श्राप लौकिक न समझिए। यह सर्वथा अलौकिक था। अन्यथा-

मो चेयं वाहमाम्ग्युरयुक्तदेहाल

धानेन याम पदयोः पदवीं सवे ते।।

उनके मुखसे कभी न निकलता। अतएप प्रेम की महिमा अकथनीय है। जिसने उसे कुछ भी आना है यह कालिदास के मेघदूत के रहस्य को भी जानासकेगा।

परन्तु, जो लोग उस रास्ते नहीं गये उनके मनो- रजन और ग्रानन्दोत्पादन को भी सामग्री मेग्रदूत में है। उसमें आपको चित्रट के ऊपर यने हुए ऐसे फुल देखने को मिनेगे जिनमें धनचरों की नियों विहार किया करती हैं। पर्वतों के ऐसे रश्य प्राप देखेंगे जिन्दै वर्षाऋतु में फेयल पही लोग देख सकते हैं जो पर्वतयासी हैं या जो विशेष करके इसी निमित्त पर्वतों पर आते हैं। दशार्य को केतको कभी मापने देती है। विदिशा की येत्रवती की लहरों का 5 भार कमी मापने प्रयलोकन किया है। उस प्रान्न के उपयनों में

धमेली की कलियों को घुननेपाली पुपलारियों से प्रापका

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