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[कालिदाम का प्रापिाप-काल । कहानियों के राज्य में जा गिरे। अर्थात् उनकी स्थिति का कुछ भी पता-ठिकाना नहीं, यह मेकहानल साहब की राय हुई। .फालिदास के छठे शतक में होने के और जो जो अनुमान विद्वानों ने किये थे उन सय का खण्डन श्रध्यापक मेकडानल ने स्वयं ही कर दिया। इससे उनके विषय में हम कुछ नहीं कहते। पर अध्यापक महाशय को कालिदास के यहुत पुराने, अर्थात् ईसा के पहले, पहली शताब्दी में, होने का कोई प्रमाण नहीं मिला। अनुमान की भी कोई जगह श्रापको नहीं मिली। अापने इस महाकवि को सिर्फ १०० वर्ष पहिले और पहुँचाया । "Thus, there is, in the present state of our knowledge, good reason to suppose that Kalidas lived not in the 6th, but in the beginning of the 5th century A. D." अर्थात् पाँच शतक के प्रारम्भ में कालिदास के होने का अनुमान करने के लिए यथेष्ट कारण है। क्यों ? इसलिए- ४७३ ईसवी का एक खुदा हुया लेख मन्दसौर में मिला है। यह लेख कविता-बद्ध है। कविताकार का नाम था . पत्तभट्टि। उसने फालिदासीय कविता का अनुसरण किया है। कई धातों में इस कवि की कविता कालिदास की कपिता से मिलती है। इसीसे साहब . ने, और अन्याय