[ कालिदास की वित्ता!
और शेक्सपियर मानत्र-मनोभाव-ज्ञान में। मानव-जाति के नोभावों का जैसा सजीय चित्र शेक्सपियर ने चित्रण किया वैसा ही कालिदास ने प्राकृतिक पदार्थों का चित्रण किया है। फालिदास बहिर्जगत् के चित्रकार या व्याख्याता थे और क्सपियर अन्तर्जगत् के ! मानवी मनोविकारों का कोई भेद क्सपियर से छिपा नहीं रहा । उसी तरह सृष्टि में जितने गतिक पदार्थ है-जितने प्राकृतिक दृश्य हैं-उनका कोई भी रहस्य कालिदास से छिपा नहीं रहा। कवित्व-शक्ति दोनों में ऊँचे दरजे की थी, परन्तु एक की शक्ति प्रतर्जगत् के रहस्यों का विश्लेषण करने की तरफ विशेष झुकी हुई थी; दूसरे की यहिर्जगत् के। इस निष्कर्ष से सय लोग सहमत हो या न हो, परन्तु इन दोनों महाकवियों की रचनाओं को .खूब ध्यान से पढ़ने और उन पर विचार करनेवाले इस यात से अवश्य सहमत होंगे कि कालिदास की तुलना यदि किसी महाकवि से की जा सफती है तो शेक्सपियर ही से की जा सकती है।
कालिदास और भवभूति ।
भयभूति भी नाटक-रचना में मिशहस्त थे ।
फरएरस का असा परिपाक इनकी करिता में इंग्ग जाता है
मा किमी अन्य कवि की कविता में नहीं देखा जाता।
मानवी स्वप के अन्तर्गव-भावों को जान लेने और उनके