कालिदास । जिस कार्य का परिणाम जैसा होना चाहिए उसका पैसा हो निदर्शन उन्होंने किया है। प्रेमियों की जो दशा होती है। उनके हृदय में जिन विकारों का प्रादुर्भाय होना गर्ने प्रम-गम को मिस पि से देखते हैं-कानिया और शेग्मपियर दोनों के नाटकों में इन पातों का सजीर चित्र देग्ने को मिलता है। शेक्सपियर के मैकयेय, सोधे गो, रोमियो, जूलियट, मिरंधा और सामांना प्राविनियों का मिलान कालिदाम के दुष्पन्ल, अग्निमित्र, पुरुरथा, शालगा. प्रियदा प्रादि के चित्रों से करने पर यह पार मणी ताल समझ में या गानी किन दोनों महापारियों की मानी म्यमाय का रिलता तलाशी मान पापही कार पर तो क मदारियों के मारक-गात्री में, मुला मार, टीक एक ही गापपहार किया है। शाला में चरितु मलिपि । गमिश मी जनियर विषय में प्रापः यही Sir ll notatsy the trige of Inring toris, Kor bute the enr untee of autline ogry, जमा राग में परिभा- मां पर मिहान प्रतिमान में मोर ॥
पृष्ठ:कालिदास.djvu/१३८
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।