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३-कालिदास के समय ) का भारत । Mera युत याव अरविन्द घोष का परिचय कराने की प्रायश्यकता नहीं। यहुत छोटी उम्न में पे विलायत गये थे। पही, कैम्यिा के विश्वविद्यालय में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की। अंगरेजी के पे पड़े भारी विद्वान् हो गये। हिन्दुस्तान को लोट पाने पर उन्होंने संस्थत-साहिस्य का भी मध्ययन किया और उसके गुणों पर मुग्ध होकर उसके पपके पक्षपाती हो गये। कई साल हुए, उन्होंने मदराम के रहियन-रिभ्यू मामक अंगरेजी मारा के मासिक पत्र में कालिदास के विषय में एक लेख प्रकाशित

किया था। उस लेग से भरविन्द पादू की मसाधारण

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