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कालिदास ।]
 

संस्कृत का इतिहास लिखकर प्राचीन भ्रामक मतों का खण्डन किया भी है।

मोक्षमूलर और चेयर के संस्थतनतिहास पुराने हो गये। उनके लिखे जाने के बाद यहुतसी नई नई बातें मालूम हुई हैं, यहुतसे मव बदल गये हैं, पहुतसे अप्राप्य प्रन्थ प्राश होकर प्रकाशित हो गये हैं। मोक्षमूलर पीर घेयर के लिखे इतिहास कीमती भी ज़ियादह हैं। मोक्षमूलर की पुस्तक तो श्रय मिलती भी नहीं। इन्हीं बातों के खयाल से "Literatures of the World" ( सारे संसार के भाषा-साहित्य) नामक पुस्तक-माला में प्रकाशित होने के लिए, अध्यापक मेकडानल ने अँगरेजी में संस्कृत-साहित्य का एक और इतिहास लिखा है। मेकडानल साहव श्राफ्सफर्ड में संस्कृताध्यापक हैं। कोई २५ वर्ष से आप संस्थत के अध्ययन और अध्यापन में लगे हुए हैं। पैदिक-साहित्य- विषयक फई ग्रन्थ श्रापने लिखे हैं। आप अच्छे वैयाकरण भी मालूम होते हैं। फोकि अध्यापक मोक्षमूलर के संस्कृत- व्याकरण का एक संक्षिप्त संस्करण भी आपने प्रकाशित किया है। यदि श्राप और कुछ न लिखते, तो भी आपका अकेला संस्कृत-साहित्येतिहास ही श्रापकी विद्वत्ता और योग्यता का परिचय देने के लिए काफी होता।

अध्यापक मेकडानल का इतिहास प्रकाशित हुए

अभी बहुत वर्ष नहीं हुए। खोज और जाँच से जितनी