पूंजी के रूपातरण और उनके परिपय इस कारण जहां तक द्र मा क्रिया का अर्थ द्र श्र है, वह द्रव्य रूप में किसी माल की जगह उपयोग रूप में माल का प्रतिस्थापन मान्न नहीं है, वरन उसमें अन्य तत्व भी सम्मिलित हैं, जो स्वयं सामान्य माल परिचलन की परिधि से स्वतंत्र हैं। द्रमा का परिवर्तित रूप है। यह मा' स्वयं उ के पूर्व कार्य, उत्पादन प्रक्रिया, की उपज है। अतः समस्त द्रव्य राशि द्र' पूर्व श्रम की द्रव्य अभिव्यंजना है। हमारे उदाहरण में ५०० पाउंड का १०,००० पाउंड सूत कताई प्रक्रिया की उपज है। इसमें से ७,४४० पाउंड सूत पेशगी दी ३७२ पाउंड स्थिर पूंजी स के वरावर है; १,००० पाउंड सूत पेशगी दी ५० पाउंड परिवर्ती पूंजी प के वरावर है ; और १,५६० पाउंड सूत ७८ पाउंड वेशी मूल्य वे के वरावर है। यदि द्र से ४२२ पाउंड की मूल पूंजी ही फिर पेशगी दी जाये और शेप परि- स्थितियां यथावत रहें, तो श्रमिक को अगले सप्ताह, द्र श्र में, उस सप्ताह में उत्पादित १०,००० पाउंड सूत का केवल एक अंश पेशगी दिया जाता है (१,००० पाउंड सूत का द्रव्य मूल्य )। मा-द्र के फलस्वरूप द्रव्य सदैव पूर्व श्रम की अभिव्यंजना होता है। यदि माल वाज़ार में द्र- मा की पूरक क्रिया तुरंत सम्पन्न हो जाये , अर्थात वाजार में प्राप्त मालों के बदले द्रव्य द्र दे दिया जाये, तो यह फिर पूर्व श्रम का रूपान्तरण है, एक रूप (द्रव्य ) का दूसरे रूप (माल ) में परिवर्तन है। किन्तु द्र मा समय की दृष्टि से मा द्र से भिन्न है। अपवादस्वरूप दोनों क्रम एक ही समय घटित हो सकते हैं ; उदाहरण के लिए, जब दो पूंजीपति एक दूसरे के पास अपना माल एक ही समय रवाना करते हैं, इनमें एक पूंजीपति द्र- मा सम्पन्न करता है, और दूसरे पूंजीपति के लिए इस का अर्थ होता है मा-द्र और द्र केवल संतुलन बैठाने के लिए प्रयुक्त होता है। मा द्र और द्र- मा क्रियाएं सम्पन्न करने के बीच का अन्तराल न्यूनाधिक काफ़ी हो सकता है , यद्यपि मा -द्र के फलस्वरूप द्र पूर्व श्रम प्रकट करता है, फिर भी द्र- मा क्रिया में वह उन मालों का परिवर्तित रूप प्रकट कर सकता है, जो अभी बाज़ार में नहीं हैं, किन्तु भविष्य में उसमें डाले जायेंगे। कारण यह कि द्र-मा के लिए तब तक सम्पन्न होना आवश्यक नहीं है कि जब तक मा नये सिरे से उत्पादित न हो जाये। इसी प्रकार द्र उन मालों का प्रतिनिधित्व कर सकता है, जो मा के साथ ही उत्पादित किये जाते हैं और जिनकी वह द्रव्य अभिव्यंजना है। उदाहरण के लिए , द्रमा के विनिमय में ( उत्पादन साधनों की खरीदारी में) हो सकता है कि खान से निकाले जाने के पहले ही कोयला ख़रीद लिया जाये। जहां तक द्र द्रव्य संचय के रूप में सामने आता है, और आय के रूप में खर्च नहीं किया जाता, वहां तक वह उस कपास का स्थानापन्न हो सकता है, जिसका उत्पादन अगले वर्ष तक न होगा। यह बात पूंजीपति की आय के व्यय, द्र-मा , के बारे में भी सही है। वह मजदूरी पर, श्र=५० पाउंड पर भी लागू होती है। यह द्रव्य श्रमिक के पूर्व श्रम का द्रव्य रूप ही नहीं है, वरन इसके साथ अभी या भविष्य में किये जानेवाले श्रम पर ड्राफ्ट या धनादेश भी है, जिसकी अभी सिद्धि की जा रही है अथवा भविष्य में की जायेगी। अपनी मजदूरी से श्रमिक एक कोट ख़रीद सकता है, जो अगले हफ्ते तक ,
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