४८ पूंजी के रूपांतरण और उनके परिपथ डालता पहली मंजिल में पूंजीपति वास्तविक पण्य बाजार से और श्रम बाजार से उपभोग वस्तुएं लेता है। तीसरी मंजिल में वह मालों को वापस करता है, लेकिन एक ही बाजार में, जो वास्तविक पण्य बाजार है। लेकिन यदि अपने माल के जरिये वह बाजार में पहले डाले हुए मूल्य की तुलना में अधिक मूल्य प्राप्त करता है, तो ऐसा केवल इस कारण है कि उस वाजार से जितना माल मूल्य उसने पहले लिया था, उससे ज्यादा अब वहां वापस डालता है। उसने बाजार में द्र मूल्य डाला और उसका समतुल्य मा उससे निकाला। वह उसमें मा+ मा है और उसका समतुल्य द्र+द्र उससे निकालता है। हमारे उदाहरण में द्र ८,४४० पाउंड सूत के मूल्य के वरावर था। लेकिन वह वाज़ार में १०,००० पाउंड सूत डालता है, फलस्वरूप उसने जितना मूल्य लिया था, उससे ज्यादा मूल्य वापस करता है। दूसरी ओर , उसने बाजार में यह वढ़ा हुआ मूल्य केवल इसलिए डाला था कि उत्पादन प्रक्रिया के दौरान श्रम शक्ति का शोपण करके उसने वेशी मूल्य का निर्माण कर लिया था ( जो उत्पाद का संखंड मान होता है और वेशी उत्पाद के रूप में व्यक्त होता है ) । उत्पादन प्रक्रिया की उपज होने के कारण ही मालों की राशि माल पूंजी बन जाती है, जो बढ़े हुए पूंजी मूल्य का वाहक होती है। मा’ - द्र' क्रिया पूरा करने से पेशगी पूंजी मूल्य और वेशी मूल्य का भी सिद्धिकरण होता है। विक्री की अनेक क्रियाएं पूरी करने पर अथवा समूची माल राशि की थोक विक्री करने पर दोनों का सिद्धिकरण एक ही साथ होता है। विक्री की यह क्रिया मा-द्र द्वारा व्यक्त होती है। किन्तु मा-द्र' की वही परि- चलन क्रिया पूंजी मूल्य तथा वेशी मूल्य के लिए भिन्न-भिन्न होती है, क्योंकि वह इनमें प्रत्येक के लिए उनके परिचलन की भिन्न मंज़िलें , रूपान्तरण क्रमों का एक भिन्न अंश प्रकट करती है, जिससे होकर उन्हें परिचलन के दायरे में गुजरना होगा। वेशी मूल्य मा का जन्म उत्पादन प्रक्रिया के दौरान ही हुआ है। सबसे पहले उसकी अवतारणा माल रूप में माल बाजार में हुई। यह उसके परिचलन का पहला रूप है। इसलिए मा-द्र क्रिया उसकी प्रथम परिचलन क्रिया है अथवा उसका प्रथम रूपान्तरण है, जिसकी पूर्ति परिचलन की प्रतिपक्षी क्रिया अथवा उलटे रूपान्तरण द्र-मा से आगे होगी।' पूंजी मूल्य मा उसी परिचलन क्रिया मा-द्र' में जो परिचलन क्रम पूरा करता है, वह इससे भिन्न है। पूंजी मूल्य के लिए यह क्रम मा द्र की परिचलन क्रिया है, जहां मा बराबर है उ के , बराबर है मूलतः लगाये द्र के। पूंजी मूल्य ने द्र के रूप में, द्रव्य पूंजी के रूप में, अपनी पहली परिचलन क्रिया शुरू की है, और मा द्र क्रिया द्वारा वह उसी रूप में फिर वापस आता है। इसलिए वह परिचलन की दो परस्पर प्रतिपक्षी मंजिलों से गुजरता है। पहली मंज़िल है द्र- मा, दूसरी है मा-द्र; और एक बार फिर वह अपने - पूंजी मूल्य और वेशी मूल्य को हम चाहे जिस ढंग से अलग करें, यह बात सही उतरेगी। १०,००० पाउंड सूत में १,५६० पाउंड का वेशी मूल्य , अथवा ७८ पाउंड का वेशी मूल्य निहित होता है। इसी प्रकार एक पाउंड मूत में, अथवा एक गिलिंग दाम के मूत में २,४६६ अाउंस का बेशी मूल्य या १,८७२ पेन्स का वेशी मूल्य निहित होता है।
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