पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३५६

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साधारण पुनरुत्पादन . प - 1 . 7 खरीद सकता, वावजूद इस तथ्य के कि विलास वस्तुएं और उत्पादन साधन दोनों इन्हीं मजदूरों के उत्पाद हैं। इसलिए जिस पश्चप्रवाह द्वारा इस उपविभाग में पेशगी परिवर्ती पूंजी अपने द्रव्य रूप में पूंजीपति उत्पादकों के पास लौटकर आती है, वह सीधा नहीं, वरन किसी के माध्यम से हो सकता है, जैसे कि 1 के मामले में। उदाहरण के लिए , मान लीजिये कि प=५०० और वे ५०० , जैसे कि वे समूचे क्षेत्र 11 के प्रसंग में थे, किंतु परिवर्ती पूंजी, और तदनुरूप वेशी मूल्य इस प्रकार वितरित हैं : उपविभाग क, जीवनावश्यक वस्तुएं : प = ४०० , वे = ४०० ; अतः उपभोक्ता आवश्यक- ताओं में ४००+ ४०°वे = ८०० मूल्य की माल राशि अथवा II क (४०°4 + ४०°बे)। उपविभाग ख , विलास वस्तुएं : १०० + १००वे = २०० मूल्य की वस्तुएं अथवा II ख (१०० + १००३)। II ख के मजदूरों को अपनी श्रम शक्ति के भुगतान में द्रव्य रूप में १०० या , कह लीजिये , १०० पाउंड मिले हैं। इस द्रव्य से वे II क पूंजीपतियों से उतनी ही राशि की उपभोग वस्तुएं खरीदते हैं। पूंजीपतियों का यह वर्ग उसी द्रव्य से १०० पाउंड का II ख का माल खरीदता है, और इस प्रकार II ख के पूंजीपतियों की परिवर्ती पूंजी उनके पास द्रव्य रूप में लौट पाती है। II क में पूंजीपतियों के हाथ में ४००५ द्रव्य उपलभ्य हैं, जिन्हें उन्होंने अपने ही मजदूरों से विनिमय द्वारा प्राप्त किया है। इसके अलावा उत्पाद का चौथाई हिस्सा, जो वेशी मूल्य है , II ख के मजदूरों को अंतरित कर दिया गया है और उसके वदले विलास वस्तुओं के रूप में II ख (१००५) प्राप्त किये गये हैं। अव अगर यह मान लें कि II क और II ख के पूंजीपति जीवनावश्यक वस्तुओं और विलास वस्तुओं में अपनी आय के व्यय का समान अनुपात में विभाजन करते हैं - मसलन आवश्यक वस्तुओं के लिए ३/५ और विलास वस्तुओं के लिए २/५ -- तो उपविभाग II क के पूंजीपति वेशी मूल्य से आय का ३/५ हिस्सा, ४००वे अथवा २४० अपने ही उत्पाद - जीवनावश्यक वस्तुओं पर और २/५ या १६० विलास वस्तुओं पर खर्च करेंगे। उपविभाग II ख के पूंजीपति अपने १००वे के वेशी मूल्य का इसी तरह बंटवारा करेंगे : ३/५ हिस्सा या ६० आवश्यक वस्तुओं के लिए और २/५ हिस्सा या ४० विलास वस्तुओं के लिए, जिसमें अंतोक्त का उत्पादन और विनिमय उनके अपने ही उपविभाग में होता है। विलास वस्तुओं के लिए (II क ) को प्राप्त १६० II क के पूंजीपतियों के पास इस तरह पहुंचते हैं : जैसा कि हम देख चुके हैं, ( II क ) ४००३ में से १०० का विनिमय जीवनावश्यक वस्तुओं के रूप में (II ख)प की एक समान राशि से होता है, जो विलास वस्तुओं के रूप में विद्यमान है, और जीवनावश्यक वस्तुओं के ६० और का विनिमय विलास वस्तुओं के ( II ख) ६०वे से होता है। इसलिए पूरा परिकलन इस प्रकार होता है : II क: प+ ४०°वे; II ख: १०० + १०० वे १) ४०० (क) का उपभोग II क के मजदूर करते हैं, जिनके उत्पाद का वे एक .. ४०० प . 23.