पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२५९

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२५८ पूंजी का प्रावत . पूंजी में रूपांतरण, मा' -द्र- मा, एक हफ्ता जल्दी पूरा हो जाता है, जिससे इस प्रक्रिया में कार्यशील द्रव्य का परिचलन भी इसी प्रकार त्वरित हो जाता है। उन्हें उससे इसलिए निकाल लिया जाता है, क्योंकि अब पुंजी क के ग्रावर्त के लिए उनकी ज़रूरत नहीं रही है। यहां यह मान लिया गया है कि पेशगी पूंजी उसकी है, जो उसका नियोजन करता है। अगर उसने उसे उधार लिया होता, तो कोई फर्क नहीं पड़ता। परिचलन काल के घटने से उसे ६०० पाउंड के बदले केवल ८०० पाउंड उधार लेने होते। यदि १०० पाउंड ऋणदाता को वापस कर दिये जाते, तो भी वे पहले की ही तरह नई द्रव्य पूंजी के १०० पाउंड बनते , बस , अब क के बदले वे ख के हाथ में हुए होते। यदि पूंजीपति क को ४८० पाउंड की उत्पादन सामग्री उधार पर मिल जाती, जिससे उसे मजदूरी के लिए अपनी जेब से द्रव्य रूप में केवल १२० पाउंड पेशगी देने पड़ते , तो उसे अव उधार पर ८० पाउंड की सामग्री कम जुटानी हुई होती और यह राशि ऋणदाता पूंजीपति के लिए अतिरिक्त माल पूंजी होती, जव कि पूंजीपति क ने द्रव्य रूप में २० पाउंड अलग कर दिये होते। उत्पादन की अतिरिक्त पूर्ति अब एक तिहाई कम हो जाती है। वह पहले अतिरिक्त पूंजी २ के ३०० पाउंड का ४/५ भाग, यानी २४० पाउंड थी, किंतु अब वह केवल १६० पाउंड है, अर्थात ३ के बदले २ हफ्ते के लिए ही अतिरिक्त पूर्ति है। अव उसका नवीकरण हर ३ के बदले हर २ हफ्ते में होता है, किंतु ३ के बदले केवल २ हफ्ते के लिए। इस प्रकार खरीद , मसलन , कपास की मंडी में अधिक बार और कम मात्राओं में होती है। मंडी से कपास की उतनी ही मात्रा निकाली जाती है, क्योंकि उत्पाद की मात्रा वही रहती है। किंतु प्रत्याहरण का वितरण समय की दृष्टि से भिन्न है, वे ज्यादा लंबी अवधि में होते हैं। मान लीजिये कि प्रश्न ३ या २ महीने का है। यदि कपास की वार्पिक खपत १,२०० गांठों की है, तो पहले प्रसंग में विक्री इस प्रकार होगी : १ जनवरी, ३०० गांठे, गोदाम में ९०० गांठे शेप १ अप्रैल, ३०० ६०० १ जुलाई, ३०० ३०० १ अक्तूवर, ३०० . - 17 " " 19 " 12 " 11 71 ८०० 11 11 11 किंतु दूसरे प्रसंग में: १ जनवरी, वेची २००, गोदाम में १,००० गांठे शेप १ मार्च, १ मई, ६०० १ जुलाई, १ सितंवर, २०० १ नवंबर, इस तरह कपास में निवेशित धन पूर्णतः एक महीने के विलंब से, अक्तूवर के बदले नवंवर में ही वापस पाता है। इसलिए अब यदि परिचलन काल के और इसलिए श्रावतं काल के संकुचन से पेशगी पूंजी का नवां भाग , या १०० पाउंड द्रव्य पूंजी के रूप में अलग हो जाता है, और २००, २००, २००, २००, २००, ४०० 19 17 o