पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२२५

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२२४ अध्याय १४ परिचलन काल . अभी तक विवेचित वे सभी परिस्थितियां, जो उद्योग की विभिन्न शाखाओं में निवेशित विभिन्न पूंजियों के आवर्त कालों के और इसलिए जिन कालावधियों के लिए पूंजी पेशगी दी जाती है, उनके भेदों को भी दर्शाती हैं, जैसे स्थायी और प्रचल पूंजी में भेद , कार्य अवधि- यों में भेद , इत्यादि , स्वयं उत्पादन की प्रक्रिया में उत्पन्न होती हैं। किंतु पूंजी का आवर्त काल उसके उत्पादन काल तथा उसके परिचलन अथवा घूर्णन काल के योग के बराबर होता है। इसलिए यह स्वाभाविक ही है कि परिचलन काल में अंतर पड़ने से पावर्त काल में और इसलिए यावर्त अवधि की दीर्घता में भी अंतर पड़ेगा। यह वात या तो ऐसे दो भिन्न पूंजी निवेशों की तुलना करने से, जिनमें परिचलन काल को छोड़कर आवर्त को बदलनेवाली सभी परिस्थितियां समान होती हैं, या स्थायी और प्रचल पूंजी के निश्चित अनुपात , निश्चित कार्य अवधि , अादि की एक निश्चित पूंजी को ले लेने से स्पष्टतम हो जाती है, जिसमें केवल परिचलन काल सापेक्षतः बदलते हैं। परिचलन काल का एक - अपेक्षाकृत सबसे निर्णायक-खंड विक्रय काल , वह समय होता है, जिसमें पूंजी माल पूंजी की अवस्था में रहती है। परिचलन काल और इसलिए सामान्य रूप में आवर्त काल का लंवा या छोटा होना इस विक्रय काल की सापेक्ष दीर्घता पर निर्भर करता है। गोदाम ख़र्च, वगैरह के फलस्वरूप पूंजी का अतिरिक्त परिव्यय आवश्यक हो सकता है। यह शुरू से ही स्पष्ट है कि तैयार माल बेचने में लगनेवाला समय उद्योग की एक ही शाखा में अलग-अलग पूंजीपतियों के लिए काफ़ी भिन्न हो सकता है। अतः वह उद्योग की विभिन्न शाखाओं में निवेशित कुल पूंजियों के लिए ही नहीं, वरन उन विविध स्वतंत्र पूंजियों के लिए भी भिन्न हो सकता है, जो वास्तव में एक ही उत्पादन क्षेत्र में निवेशित कुल पूंजी के विभिन्न अंश मात्र हैं, किंतु जिन्होंने अपने को स्वतंत्र कर लिया है। अन्य परिस्थितियां समान हों, तो उसी वैयक्तिक पूंजी के लिए विक्रय काल बाजार के सामान्य उतार-चढ़ाव के साथ अथवा उस व्यवसाय विशेप में होनेवाले उतार-चढ़ाव के साथ बदलता रहेगा। हम इस बात का और अधिक विवेचन न करेंगे। हम वस यह सादी सी बात कह देते हैं : वे तमाम परिस्थितियां, जो सामान्यतः उद्योग की विभिन्न शाखाओं में निवेशित पूंजियों के प्रावर्त कालों में अंतर उत्पन्न करती हैं, वे अपने साथ उसी व्यवसाय में कार्यरत विभिन्न अलग-अलग पूंजियों के प्रावर्त में भी अंतर लेकर पाती हैं, बशर्ते कि ये परिस्थितियां अलग-अलग कार्यरत हों ( उदाहरण के .