पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/२२४

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उत्पादन काल २२३ पायेगी। किंतु यदि हेरफेर के आधे समय की ही, यानी तीन साल की, पैदावार का हिसाव लगाया जाये, तो ऐसा न होगा, क्योंकि तव कुल आमदनी के आंकड़े एक जैसे न होंगे। इन सब बातों से यह नतीजा निकलता है कि जिस जमीन को तिनखेतिया पद्धति से काश्त करना है, उसका पट्टा कम से कम छ: साल का होना चाहिए। फिर भी पट्टेदार और पट्टेदाता के लिए यह सदा वांछनीय होता है कि पट्टे की अवधि पट्टे की अवधि का गुणन खंड हो [वाह!]; इसलिए तिनखेतिया पद्धति में छः साल के बदले यह अवधि १२, १८ और इसी तरह अधिक वर्षों की होनी चाहिए, तथा सतखेतिया पद्धति में सात के वदले १४, २८ वर्षों की" ( किर्कोफ़ , पृष्ठ ११७, ११८)। ( इस स्थान पर पाण्डुलिपि में यह लिखा है : "फ़सलों के हेरफेर की अंग्रेज़ी पद्धति । यहां एक टिप्पणी देना है।)