पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१९६

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अध्याय ११ स्थायी तथा प्रचल पूंजी के सिद्धांत । रिका? , 11 25 1726 " . रिकार्डो ने स्थायी और प्रचल पूंजी के भेद का समावेश केवल मूल्य के नियम के अपवादों, अर्थात उन प्रसंगों, जहां मजदूरी की दर कीमतों को प्रभावित करती है, का सोदाहरण स्पष्टीकरण करने के लिए किया है। इस बात का विवेचन खंड ३ के लिए रखा जा रहा है। * किंतु स्पष्टता का मूल अभाव प्रारंभ में ही निम्नलिखित सारहीन सन्निधान में स्पष्ट हो जाता है : 'स्थायी पूंजी के टिकाऊपन की मात्रा का यह भेद, और अनुपातों की यह विविधता, जिनमें दोनों तरह की पूंजी संयुक्त हो सकती है। और यदि हम पूछे कि वह किन दो तरहों की पूंजी की बात कर रहे हैं, तो हमें बताया जाता है : “वे अनुपात भी, जिनमें वह पूंजी , जिसे श्रम का पोषण करना है, और वह पूंजी, जो मशीनों, औज़ारों और इमारतों में लगाई गई है, विविध रूपों में संयुक्त हो सकती है। दूसरे शब्दों में, स्थायी पूंजी श्रम उपकरणों के बरावर है और प्रचल पूंजी श्रम पर लगाई पूंजी के वरावर है। वह पूंजी , जिसे श्रम का पोषण करना है" ऐडम स्मिथ से ली यह निरर्थक शब्दावली है। यहां एक ओर प्रचल पूंजी को परिवर्ती पूंजी के साथ , अर्थात उत्पादक पूंजी के उस भाग के साथ विठा दिया गया है जो श्रम में निविष्ट की गई है। किंतु दूसरी ओर दुगुनी भ्रान्तिपूर्ण स्थापनाएं इस कारण उत्पन्न होती हैं कि वैपरीत्य का मूल मूल्य की - स्थिर तथा परिवर्ती पूंजी - स्वप्रसार प्रक्रिया से नहीं, वरन परिचलन प्रक्रिया से निकाला जाता है ( ऐडम स्मिथ का पुराना उलझाव )। स्थायी पूंजी के टिकाऊपन की मात्रा में भेदों और पूंजी के स्थिर तथा परिवर्ती पूंजी से बने होने के कारण उत्पन्न भेदों को समान महत्व का माना जाता है। किंतु यह वादवाला भेद वेशी मूल्य के उत्पादन में भेद को निर्धारित करता है, इसके विपरीत , पहलेवाला भेद जहां तक स्वप्रसार प्रक्रिया का संबंध है, केवल यह दिखाता है कि कोई मूल्य विशेष उत्पादन साधनों से उत्पाद में किस तरह अंतरित होता है; जहां तक परिचलन प्रक्रिया का संबंध है, यह भेद केवल व्यय की हुई पूंजी के नवीकरण की अवधि की ओर, अथवा अन्य दृष्टिकोण से , उस समय की ओर संकेत करता है, जिसके लिए वह पेशगी दी गई थी। उत्पादन की पूंजीवादी प्रक्रिया के भीतरी तंत्र को समझने के बदले , यदि केवल संपन्न पहली बात, • कार्ल मार्क्स , 'पूंजी', अंग्रेजी संस्करण , खंड ३, अध्याय ११, पृष्ठ १६६-२०० ।-सं० 25 Ricardo, Principles, etc, p. 25. वही। 26 LO