पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१९२

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स्थायी तथा प्रचल पूंजी के सिद्धांत। प्रकृतितंत्रवादी और ऐडम स्मिथ १६१ . के लिए उसका उपयोग न किया जाये , अतः वह उत्पादन तत्व का, और फलतः पूंजीपति के दृष्टिकोण से उत्पादक पूंजी के स्थायी घटक का कार्य न करे। किन्तु कताई मशीन चल होती है। जिस देश में उसका निर्माण हुअा है, उससे उसका निर्यात किया जा सकता है और वह प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में कच्चे माल , वगैरह के लिए या शैम्पेन के लिए विदेश में वेची जा सकती है। उस हालत में जहां उसका निर्माण हुआ था, वहां वह केवल माल पूंजी का कार्य करती है, स्थायी पूंजी का कभी नहीं, विक जाने के बाद भी नहीं। लेकिन जिस उत्पाद की जड़ जमीन में गड़ी होती है और इस कारण जो स्थानबद्ध होता है, अतः जिसका उपयोग स्थानिक ही हो सकता है, जैसे कारखाने की इमारतें, रेलमार्ग, पुल, सुरंगें, गोदी, वगैरह , भूसुधार, वगैरह - इन सब का भौतिक रूप में संपूर्णरूपेण निर्यात नहीं हो सकता। वे चल नहीं हैं। वे या तो वेकार होंगे या बेचे जाते ही जिस देश में उनका उत्पादन हुअा है, उसमें उन्हें स्थायी पूंजी के रूप में कार्य करना होगा। अपने पूंजीवादी उत्पादक के लिए, जो कारखाने बनाता अथवा ऊंचे दामों पर विक्री के लिए भूसुधार करता है, उसके लिए ये चीजें उसकी माल पूंजी का अथवा ऐडम स्मिथ के अनुसार प्रचल पूंजी का रूप हैं। किन्तु यदि इन चीज़ों को बेकार नहीं पड़े रहना है, तो सामाजिक दृष्टि से उन्हें अन्ततः उसी देश में उत्पादन की किसी स्थानीय प्रक्रिया में स्थायी पूंजी की तरह कार्य करना होगा। इससे यह नतीजा क़तई नहीं निकलता कि जो अचल है, वह स्वयमेव स्थायी पूंजी है। रिहायशी मका- नों, वगैरह की तरह वह उपभोग निधि का अंग हो सकता है और उस हालत में वह सामा- जिक पूंजी का कोई भी अंश नहीं होता, यद्यपि वह उस सामाजिक सम्पदा का एक तत्व होता है, पूंजी जिसका अंश मात्र है। ऐडम स्मिथ की शब्दावली में इन चीजों का उत्पादक उनकी विक्री से मुनाफ़ा कमाता है। और इसलिए वे प्रचल पूंजी हैं ! उनका व्यावहारिक उपभोक्ता, उनका अंतिम क्रेता उत्पादन प्रक्रिया में डालकर ही उनका इस्तेमाल कर सकता है। और इसलिए वे स्थायी पूंजी हैं! सम्पत्ति के अधिकार, यथा रेलवे शेयर, प्रति दिन हस्तान्तरित हो सकते हैं और उनका स्वामी उन्हें विदेश में वेचकर भी मुनाफ़ा कमा सकता है, इस तरह सम्पत्ति के अधिकारों का निर्यात किया जा सकता है, यद्यपि स्वयं रेलवे का निर्यात सम्भव नहीं है। फिर भी या तो इन चीजों को उस देश में वेकार पड़े रहना होगा, जिसमें वे स्थानवद्ध हैं, या किसी उत्पादक पूंजी के स्थायी घटक के रूप में कार्य करना होगा। उसी प्रकार कारखानेदार क. कारखानेदार ख को अपना कारखाना बेचकर मुनाफ़ा कमा सकता है, किन्तु इससे कारखाने के पहले की ही तरह स्थायी पूंजी की तरह कार्य करते रहने में कोई बाधा नहीं पड़ती। इसलिए जहां श्रम के स्थानवद्ध उपकरणों को, जो जमीन से हटाये नहीं जा सकते , तिस पर भी बहुत करके उसी देश में स्थायी पूंजी की हैसियत से कार्य करना होगा; यद्यपि अपने उत्पादक के लिए वे माल पूंजी का कार्य कर सकते हैं और उनका उसको स्थायी पूंजी के तत्व न बनना संभव है ( जहां तक स्थायी पूंजी उन श्रम उपकरणों से वनती है, जो उसे इमारतों, रेलमार्गों, आदि के निर्माण के लिए दरकार होते हैं ), इससे किसी तरह भी यह विपरीत निष्कर्ष न निकालना चाहिए कि स्थायी पूंजी में अनिवार्यतः अचल चीजें ही होती हैं। जहाज़ और रेलवे इंजन अपनी गति द्वारा ही फलदायी होते हैं, फिर भी वे जिसने उनका उत्पादन किया था, उसके लिए नहीं, वरन उसके लिए कार्य करते हैं, जो उनका स्थायी पूंजी की तरह उपयोग करता है। दूसरी ओर, जो चीजें उत्पादन प्रक्रिया में पूर्णतः निश्चित रूप से नियत