पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१८८

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स्थायी तथा प्रचल पूंजी के सिद्धांत । प्रकृतितंत्रवादी और ऐडम स्मिथ १८७ - , इस बात से कि इसके साथ ही स्मिथ व्यापारी की बात भी करते हैं उनकी उलझन प्रकट हो जाती है। उत्पादक जब अपना उत्पाद व्यापारी को बेच देता है, तो वह उसकी पूंजी का कोई रूप नहीं रह जाता। समाज के दृष्टिकोण से वह दरअसल अब भी माल पूंजी है, यद्यपि अब वह उत्पादक के पास नहीं, दूसरे के हाथ में है। किन्तु इसी कारण कि वह माल पूंजी है, वह न स्थायी पूंजी है और न प्रचल पूंजी। हर तरह के ऐसे उत्पादन में, जो उत्पादक की प्रत्यक्ष आवश्यकताओं को तुष्ट करने के लिए नहीं है, यह ज़रूरी होता है कि उत्पाद माल रूप में परिचालित हो, अर्थात वह बेचा जाये, इसलिए नहीं कि लाभ कमाया जाये , बल्कि इसलिए कि उत्पादक जीता तो रहे। पूंजी- वादी उत्पादन में इस परिस्थिति को और जोड़ना होगा कि जब कोई माल बेचा जाता है, तब उसमें निहित वेशी मूल्य का भी सिद्धिकरण होता है। उत्पाद उत्पादन प्रक्रिया से माल रूप में निकलता है और इसलिए वह इस प्रक्रिया का न तो स्थायी और न ही प्रचल तत्व है। प्रसंगतः यहां स्मिथ अपने ही विरुद्ध तर्क करते हैं। सभी तैयार उत्पाद , उनका भौतिक रूप अथवा उपयोग मूल्य , उनका उपयोगी परिणाम चाहे जो हो , यहां माल पूंजी हैं, अतः परिचलन : प्रक्रिया के लाक्षणिक रूप में पूंजी हैं। इस रूप में होने के कारण तैयार उत्पाद अपने मालिक की किसी भी उत्पादक पूंजी का घटक नहीं होते। इससे उनके विक्री होते ही , अपने ग्राहक के हाथ में उत्पादक पूंजी का घटक - स्थायी अथवा प्रचल - बन जाने में ज़रा भी वाधा नहीं पड़ती। यहां यह स्पष्ट है कि उत्पादक पूंजी से भिन्न , माल पूंजी की तरह जो वस्तुएं कुछ समय के लिए बाज़ार में आती हैं, वे बाज़ार से हटाये जाने पर उत्पादक पूंजी के प्रचल अथवा स्थायी घटकों का कार्य कर सकती हैं और नहीं भी कर सकती हैं। सूत कातनेवाले का उत्पाद , सूत , उसकी पूंजी का माल रूप है। जहां तक उसका सम्बन्ध है, वह माल पूंजी है। वह उसकी उत्पादक पूंजी के घटक के रूप में फिर काम नहीं कर सकता, न श्रम सामग्री के रूप में और श्रम उपकरण के रूप में। किन्तु सूत ख़रीदनेवाले वुनकर के हाथ में वह बुनकर की उत्पादक पूंजी में, उसके एक प्रचल घटक के रूप में समाविष्ट हो जाता है। लेकिन कातनेवाले के लिए सूत उसकी स्थायी तथा प्रचल पूंजी (वेशी मूल्य के अलावा) के आंशिक मूल्य का निधान होता है। उसी प्रकार मशीन निर्माता की मशीन उसकी पूंजी का माल रूप है, उसके लिए माल पूंजी है। और जब तक वह इस रूप में वनी रहती है, वह न प्रचल पूंजी होती है, न स्थायी पूंजी। किन्तु यदि वह कारखानेदार के हाथ इस्तेमाल के लिए वेच दी जाये, तो वह उत्पादक पूंजी का स्थायी घटक बन जाती है। यदि अपने उपयोग रूप के कारण कोई उत्पाद उत्पादन साधन के नाते उस प्रक्रिया में अंशतः पुनः प्रवेश भी करे, जिससे उसका उद्भव हुआ था, जैसे कोयला कोयले के उत्पादन में प्रवेश करे, तो निश्चित रूप में कोयले के उत्पाद का वह भाग , जो विक्री के लिए उद्दिष्ट है, न प्रचल पूंजी होता है, न स्थायी पूंजी, वरन माल पूंजी होता है। दूसरी ओर अपने उपयोग रूप के कारण कोई उत्पाद उत्पादक पूंजी का तत्व-श्रम सामग्री अथवा श्रम उपकरण के रूप में - बनने में पूर्णतः अक्षम हो सकता है। उदाहरण के लिए, कोई निर्वाह साधन । फिर भी अपने उत्पादक के लिए उत्पाद माल पूंजी होता है, उसकी स्थायी और प्रचल पूंजी दोनों के ही मूल्य का वाहक होता है और इनमें से किसी एक का वाहक इसके अनुसार होता है कि उसके उत्पादन में जो पूंजी लगी है, वह अंशतः प्रतिस्थापित होगी अथवा पूर्णतः, उसने उत्पाद को अपना मूल्य अंशतः स्थानान्तरित किया है अथवा पूर्णतः । .