पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१८६

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स्थायी तथा प्रचल पूंजी के सिद्धांत। प्रकृतितंत्रवादी और ऐडम स्मिथ १८५ , 1 1 » 11 से उसके उत्पादन तत्वों में पुनःपरिवर्तन द्वारा संपन्न पुनरुत्पादन की पूर्वापेक्षा करता है। लेकिन चूंकि पूंजीवादी उत्पादक के खुद अपने उत्पाद का एक भाग उत्पादन साधन के रूप में सीधे उसके काम आता है, इसलिए वह उसे स्वयं अपने को बेचता हुआ जान पड़ता है और उसके वही-खातों में सारी वात इसी तरह प्रकट होती है। उस स्थिति में पुनरुत्पादन का यह भाग परिचलन के कारण घटित नहीं होता, वरन सीधे-सीधे सम्पन्न होता है। फिर भी उत्पाद का वह भाग, जो इस प्रकार उत्पादन साधन का काम करता है, स्थायी पूंजी को नहीं , प्रचल पूंजी को प्रतिस्थापित करता है, क्योंकि १) उसका मूल्य पूर्णतः उत्पाद में चला जाता है, और २) वह स्वयं वस्तुरूप में नये उत्पाद के एक नये नमूने द्वारा प्रतिस्थापित हो चुका होता है। अव ऐडम स्मिथ हमें बताते हैं कि प्रचल पूंजी और स्थायी पूंजी के घटक कौन से होते हैं। वह भौतिक तत्वों, पदार्थों का, जो स्थायी पूंजी के घटक हैं और उन पदार्थों का वर्णन करते हैं, जो प्रचल पूंजी के घटक होते हैं, मानो यह निश्चयात्मकता इन चीजों में भौतिक रूप से, नैसर्गिक रूप से अन्तर्निहित हो और पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया के भीतर उनके निश्चित कार्य से उत्पन्न न होती हो। फिर भी उसी अध्याय ( खण्ड २, अध्याय १) में वह टिप्पणी करते हैं कि यद्यपि कोई चीज़ , जैसे कि इमारत , जो "तात्कालिक उपभोग" के लिए "स्टॉक की तरह प्रारक्षित है, 'अपने स्वामी को प्राय दे सकती है, और इस प्रकार उसके लिए पूंजी का कार्य कर सकती है, किन्तु वह सर्वसाधारण को कोई आय नहीं दे सकती है, न उसके लिए पूंजी का कार्य कर सकती है और उसके द्वारा सकल जनसमुदाय की आय में रत्ती भर भी वृद्धि नहीं हो सकती है" (पृष्ठ १८६ )। तो यहां ऐडम स्मिथ साफ़-साफ़ कह देते हैं कि पूंजी वनने का गुण वस्तुओं में अपने पाप और हर स्थिति में अन्तर्निहित नहीं होता, बल्कि वह एक ऐसा कार्य है, जो परिस्थितियों के अनुसार, उनमें निविष्ट हो भी सकता है और नहीं भी। किन्तु जो वात सामान्यतः पूंजी के बारे में सही है, वह उसके उपविभाजनों के बारे में भी सही है। वस्तुएं श्रम प्रक्रिया में अपने द्वारा किये जानेवाले कार्य के अनुसार प्रचल अथवा स्थायी पूंजी के घटक बनती हैं। उदाहरण के लिए एक पशु कमकर पशु (श्रम उपकरण ) के नाते स्थायी पूंजी के अस्तित्व के रूप का प्रतीक होता है, जब कि मोटाये जानेवाले पशु ( कच्चा माल) के नाते वह फ़ार्मर की प्रचल पूंजी का घटक होता है। दूसरी ओर एक ही वस्तु कभी उत्पादक पूंजी के घटक का कार्य कर सकती है और कभी प्रत्यक्ष उपभोग निधि का अंग हो सकती है। यथा, जब कोई मकान वर्कशॉप का काम करता है, तब वह उत्पादक पूंजी का स्थायी घटक होता है ; जब वह आवास का काम देता है, तब वह पूंजी का किसी प्रकार का भी रूप नहीं होता। अनेक मामलों में श्रम के वही उपकरण उत्पादन साधनों का काम कर सकते हैं, अथवा उपभोग साधनों का। यह ऐडम स्मिथ की इस धारणा से प्रसूत भ्रान्तियों में एक है कि स्थायी अथवा प्रचल पूंजी होने के गुण को स्वयं वस्तुओं में अन्तर्निहित माना गया था। श्रम प्रक्रिया के विश्लेषण मात्र से यह प्रकट हो जाता है (Buch I, Kap. V)* कि श्रम उपकरणों, श्रम सामग्री तथा उत्पाद की परिभाषाएं प्रक्रिया में उस एक ही वस्तु द्वारा अदा की जानेवाली विभिन्न भूमिकाओं

  • हिन्दी संस्करण : अध्याय ७।-सं०