पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१६३

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पूंजी का प्रावर्त , ही कोई मशीन अपने टिकाऊपन के मध्य विन्दु से आगे बढ़ती है और इसलिए सामान्य छीजन जितना ही संचित होती है और जिन चीज़ों की वह वनी है, वे जितना ही जीर्ण-शीर्ण होती हैं, उसे अपने प्रीसत टिकाऊपन की शेप अवधि में चालू रखने के लिए मरम्मत उतनी ही ज्यादा और बार-बार करनी होगी। बूढ़े आदमी के मामले में भी यही होता है, जिसे वक्त से पहले न चल वसने के लिए नौजवान और तन्दुरुस्त आदमी की अपेक्षा दवा-दारू पर ज्यादा पैसा खर्च करना होता है। इसलिए अपने आकस्मिक स्वरूप के वावजूद मरम्मत का काम स्थायी पूंजी के जीवन काल की विभिन्न अवधियों में असमान रूप से बंटा हुआ होता है। उपर्युक्त विवेचन से और मरम्मत के काम के साधारणतः आकस्मिक स्वरूप से यह निष्कर्ष निकलता है : एक लिहाज़ से मरम्मत पर श्रम शक्ति और श्रम उपकरणों का वास्तविक व्यय आकस्मिक होता है, जैसे मरम्मत को आवश्यक बनानेवाली परिस्थितियां भी होती हैं। आवश्यक मरम्मत की माना स्थायी पूंजी के जीवन काल की विभिन्न अवधियों में असमान रूप में वितरित होती है। और वातों में स्थायी पूंजी का औसत जीवन काल प्रांकने में यह मान लिया जाता है कि वह अंशतः सफ़ाई के ( जिसमें स्थान की सफ़ाई भी शामिल है), और अंशतः जितनी ज़रूरत पड़े, उतनी ही मरम्मत के जरिये लगातार अच्छी चालू हालत में रखी जायेगी। स्थायी पूंजी को छीजन के जरिये रूपान्तरित मूल्य का परिकलन उसके औसत जीवन काल के आधार पर किया जाता है, किन्तु यह औसत जीवन काल स्वयं इस अनुमान पर आधारित है कि अनुरक्षण के लिए आवश्यक अतिरिक्त पूंजी लगातार पेशगी दी जाती रहेगी। किन्तु तव यह भी स्पष्ट है कि पूंजी और श्रम के इस अतिरिक्त व्यय के कारण जो मूल्य जुड़ता है, वह उसके किये जाने के समय ही सम्बद्ध मालों की कीमत में दाखिल नहीं हो सकता। मिसाल के लिए, कोई सूत निर्माता पिछले हफ्ते की अपेक्षा इस हफ्ते सिर्फ़ इस विना पर अपना सूत महंगा नहीं वेच सकता कि इस हफ़्ते उसके कारखाने में कोई पहिया टूट गया था या कोई पट्टा फट गया था। किसी अलग कारखाने में इस दुर्घटना से कताई की आम लागत किसी भी तरह वदल नहीं गई। मूल्य के सभी निर्धारणों की तरह यहां भी फैसला औसत के आधार पर होता है। अनुभव से ऐसी दुर्घटनामों का औसत और व्यवसाय की किसी शाखा में लगाई स्थायी पूंजी के औसत जीवन काल में अावश्यक अनुरक्षण व मरम्मत के काम के औसत परिमाण का पता चल जाता है। यह औसत व्यय औसत जीवन काल में वांट दिया जाता है और उत्पाद के मूल्य में अनुरूप अशेपभाजक अंशों में जोड़ दिया जाता है; अतः वह अपने विक्रय द्वारा प्रतिस्थापित होता है। इस प्रकार प्रतिस्थापित अतिरिक्त पूंजी प्रचल पूंजी में आती है, यद्यपि उसे खर्च करने का तरीक़ा अनियमित होता है। मशीनों में आई हर क्षति को तुरंत सुधारना परम महत्वपूर्ण काम होता है, इसलिए प्रत्येक अपेक्षाकृत बड़े कारखाने में नियमित कारखाना कर्मियों के अलावा इंजीनियर, मिस्तरी, वढई, लोहार, वगैरह विशेप कर्मचारी भी रखे जाते हैं। उनकी मजदूरी परिवर्ती पूंजी का अंश होती है और उनके श्रम का मूल्य उत्पाद पर वितरित होता है। दूसरी ओर उत्पादन साधनों का व्यय पूर्वोक्त औसत के आधार पर प्रांका जाता है, जिसके अनुसार वह निरन्तर उत्पाद का मूल्यांश रहता है, यद्यपि दरअसल उसे अनियमित अंतरालों पर पेशगी दिया जाता है और इसलिए वह उत्पाद अथवा स्थायी पूंजी में अनियमित अवधि पर प्रवेश करता है। वास्तविक मरम्मत पर खर्च की जानेवाली यह पूंजी कई लिहाज से sui generis [अपने ही ढंग की ] होती है । उसका वर्गीकरण न प्रचल पूंजी में हो सकता है, न स्थायी पूंजी में,