पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१२७

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१२६ पूंजी के रूपांतरण और उनके परिपथ . लिए प्रयुक्त नहीं हो सकती। दूसरे, समाज वेशीश्रम के इन दो घण्टों के लिए भुगतान नहीं करता, हालांकि इस श्रम को करनेवाला व्यक्ति यह समय खर्च करता है। इससे समाज किसी अतिरिक्त उत्पाद अथवा अतिरिक्त मूल्य को हस्तगत नहीं करता । किन्तु परिचलन की जो लागत श्रमिक व्यक्त करता है, वह पंचमांश कम हो जाती है, दस से घटकर आठ घण्टे हो जाती है। समाज परिचलन के सक्रिय काल के इस पंचमांश का , जिसका वह अभिकर्ता है, कोई समतुल्य नहीं देता। किन्तु यदि इस व्यक्ति से कोई पूंजीपति काम कराता हो, तो इन दो घाटों के लिए भुगतान न करने से उसकी पूंजी की परिचलन लागत कम हो जायेगी, जो उसकी आमदनी में कटौती है। पूंजीपति के लिए यह निश्चित फ़ायदा है, क्योंकि उसके पूंजी मूल्य के स्वप्रसार की नकारात्मक सीमा इस तरह घट जाती है। जब तक मालों के छोटे स्वतन्त्र उत्पादक अपने ही समय का एक हिस्सा क्रय-विक्रय में खर्च करते हैं, तब तक यह उनके उत्पादक कार्य के वीच अन्तरालों में खर्च किये जानेवाले समय अथवा उनके उत्पादन काल के ह्रासन के अलावा और कुछ नहीं होता। जो भी हो, इस प्रयोजन के लिए जो भी समय व्यय होता है, वह परिचलन की लागत में आता है, जिससे परिवर्तित मूल्यों में कोई वृद्धि नहीं होती। यह उन्हें माल रूप से द्रव्य रूप में परिवर्तित करने की लागत है। परिचलन अभिकर्ता की हैसियत से काम करनेवाला मालों का पूंजीवादी उत्पादक मालों के प्रत्यक्ष उत्पादक से केवल इस बात में भिन्न होता है कि वह वेचने-खरीदने का काम और बड़े पैमाने पर करता है और इसलिए ऐसे अभिकर्ता की हैसियत से उसके कार्य के आयाम और बड़े हो जाते हैं। यदि उसके व्यवसाय का परिमाण उसे वाध्य करे या इसके योग्य बना दे कि वह अपने ही परिचलन अभिकर्ता ख़रीद (पारिश्रमिक पर रख) सके, तो इससे मामले के स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं होता।। श्रम शक्ति और श्रम काल की कुछ मात्रा परिचलन प्रक्रिया में खर्च करनी ही होगी ( जहां तक कि यह प्रक्रिया रूप का परिवर्तन मात्र है)। किन्तु अब यह पूंजी के अतिरिवत निवेश के रूप में प्रकट होती है। परिवर्ती पूंजी का एक भाग इस श्रम शक्ति को खरीदने में लगाना ही होगा, जो केवल परिचलन में कार्यशील होती है। पूंजी की इस पेशगी से न तो उत्पाद का निर्माण होता है, न मूल्य का। जिन आयामो में पेशगी पूंजी उत्पादक रूप से कार्य करती है, उन्हें वह Pro tanto [ तत्प्रमाणे ] घटा देती है। ऐसा होता है, मानो उत्पाद का एक हिस्सा मशीन बदल गया हो, जो शेष उत्पाद को वेचती और खरीदती हो। यह मशीन उत्पाद में कमी लाती है। वह उत्पादक प्रक्रिया में भाग नहीं लेती, यद्यपि परिचलन में व्यय होनेवाली श्रम शक्ति , आदि में वह कमी कर सकती है। वह परिचलन की लागत का अंश मान होती है। . २) लेखाकरण वास्तविक क्रय-विक्रय के अलावा श्रम काल लेखाकरण के काम में खर्च होता है, जिसमें इसके अलावा क़लम , स्याही, काग़ज़ , मेज़ , दपतरी साजसामान जैसे श्रम के मूर्त रूप भी खपते हैं। अतः यह कार्य एक ओर श्रम शवित का व्यय आवश्यक बनाता है और दूसरी ओर उत्पादन साधनों का। यह स्थिति वैसी ही है, जैसी क्रय-विक्रय काल के प्रसंग में देखी जाती है। अपने परिपथों की एकान्विति की हैसियत से, गतिशील मूल्य की हैसियत से - फिर वह चाहे उत्पादन के क्षेत्र में हो, चाहे परिचलन क्षेत्र की किसी एक अवस्था में हो- अधिकल्पित -