पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/८६९

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८६६ पूंजीवादी उत्पादन 1 . नाजायें। बेणे ; दूसरे, हर ऐसा मजबूर, मो मजदूरी पर काम करना बल्ल करके भू-स्वामी बनना चाहेगा, उसको जमीन खरीदनी पड़ेगी, जिससे नये मखदूरों को उपनिवेश में लाने के लिये एक कोष जमा हो जायेगा।"राज्य द्वारा नियत बरती के दाम को, बाहिर है, "पर्याप्त वाम" (sufficient price) होना चाहिये,-अर्थात् वह इतना अंघा वाम होना चाहिये कि उसके कारण "मजदूर उस बात तक स्वतंत्र भूस्वामी न बन पाये, जब तक कि उनका स्थान लेने के लिये नवे मजदूर यह " पर्याप्त बाम" एक बकोक्ति तथा मंगलभावन के सिवा और कुछ नहीं है, विसके पीछे वह मुक्ति-धन छिपा हुआ, बोमजदूर को मजदूरों की मन्डी को छोड़कर बेती करने की अनुमति प्राप्त करने के एवज में पूंजीपति को देना पड़ता है। पहले मखदूर को पूंजीपति के लिये "पूंजी" पैरा करनी पड़ती है, ताकि वह उसके परिये और अधिक मजदूरों का शोषण कर सके। फिर उसे अपने बर्षे से अपना एक एक्सी बम की मन्डी में बुलाना पड़ता है, जिसे सरकार उसके भूतपूर्व स्वामी-पूंजीपति के लाभार्च समुद्र पार कराके उपनिवेश में लाती है। यह बहुत सारगर्मित बात है कि मि० वेकशील ने "पादिम संचय " का जो तरीका विशिष्ट रूप से उपनिवेशों के लिये सुझाया है, उसका इंगलेस की सरकार बों से उपयोग कर रही है। जाहिर है, उसको इस मामले में भी उतनी ही बड़ी सफलता मिली है, जितनी बड़ी सफलता सर रोबर्ट पील के बैंक-कानून के मामले में मिली थी। उसका परिणाम केवल यह हमा कि परावास की धारा विटिश उपनिवेशों से मुड़कर संयुक्त राज्य अमरीका की ओर बहने लगी। इस बीच योरप में पूंजीवादी उत्पादन की प्रगति पर सरकार के बढ़ते हुए वाव ने कफील के नुस्खे को अनावश्यक बना दिया है। एक पोर तो अमरीका में वर्ष प्रति वर्ष मनुष्यों की बो बहुत धारा निरन्तर पहुंच रही है, वह संयुक्त राज्य अमरीका के पूर्वी भाग में एक स्थिर तलछट छोड़ती जाती है। कारण कि योरप से पाने वाली मावास की लहर जितनी तेजी के साथ मनुष्यों को वहां की मम की मण्डी में लाकर पटकती जाती है, उतनी तेजी के साथ पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाली परावास की लहर उनको वहां से हटा नहीं सकती। दूसरी ओर, अमरीकी गृह युद्ध के साथ-साथ एक बैत्याकार राष्ट्रीय जन देश के कंधों पर पा पड़ा है और उसके साथ-साथ करों का बोमा बढ़ गया है, एक नीचतम वित्तीय अभिजात वर्ग पैदा हो गया है, सार्वजनिक भूमि का एक बहुत बड़ा भाग रेलों, सानों पारि से मुनाफा कमाने के उद्देश्य से स्थापित की जाने वाली सट्टेबाव कम्पनियों पर लुटा दिया गया है,-ौर संक्षेप में कहिये, तो पूंजी का बहुत ही तेजी के साथ केनीयकरण हो रहा है। चुनांचे यह महान प्रजातंत्र अब पराबासी मजदूरों का स्वर्ग नहीं रह गया है। हालांकि वहाँ पनी मजदूरी को कम करके और मजबूर की पराधीनता को बढ़ाकर योरप के सामान्य स्तर पर नहीं पहुंचाया जा सका है, फिर भी पूंजीवादी उत्पादन वामनभावों से प्रगति कर रहा है। परती पड़ी हुई औपनिवेशिक भूमि को इंगलेश की सरकार जिस सन्वाहीन ग से अमिजात वर्ग के लोगों तवा पूंजीपतियों पर लुढा रही है, उसकी बेकफील्स तकमे बड़े बोरवार शब्दों में निट की है। खास तौर पर पास्ट्रेलिया में इस बीच ने सोने की मानों से पाकृष्ट होकर प्रास्ट्रेलिया की मोर पिंचने वाले मनुष्यों की अनवरत Wakefield, उप. पु., बण्ड २, पृ० १९२। 'उप. पु., पृ. ४५ "जब प्रास्ट्रेलिया अपने लिये कानून बनाने लगा, तब उसने, जाहिर है, वहां बसे हुए लोगों के हित में कानून बनाये, लेकिन अंग्रेज सरकार इसके पहले ही पमीन को जुटा पुकी थी,